नई दिल्ली। देश की फैक्ट चेकिंग वेबसाइट डिजिटल फारेंसिक, रीसर्च एंड एनालिटिक्स सेंटर (डीएफआरएसी) ने गहन अध्ययन के बाद जानकारी दी है कि भारत की छवि को बिगाड़ने के लिए ट्विटर का जमकर इस्तेमाल किया जा रहा है। भारत विरोधी लोग देश की छवि को खराब करने के लिए ट्विटर को एक दुष्प्रचार के टूल के तौर पर गलत और भड़काऊ जानकारियां साझा कर रहे हैं।
ट्विटर को बनाया जा रहा है माध्यम
नॉन प्राफिट डीएफआरएसी ने तमाम जानकारियों का विश्लेषण करके पाया कि एक ट्विटर एकाउंट को भारत की अंतरराष्ट्रीय छवि को खराब करने के लिए ही बनाया गया है। उस अकाउंट की 11 जुलाई, 2022 की पुरानी पोस्ट में ट्वीट कर बताया गया था कि कश्मीर में बकरीद पर सभी मस्जिदें बंद थीं। मुसलमानों को यह त्योहार मनाने की इजाजत नहीं दी गई।
जांच में फर्जी पाया गया दावा
जब डीएफआरएसी ने इस दावें की जांच की तो इसे पूरी तरह से फर्जी पाया। इस फैक्ट चेक संस्था ने गूगल, समाचार पत्रों और अन्य माध्यमों से तथ्यों को परखा तो पाया कि पुराने शहर में स्थित ऐतिहासिक जामा मस्जिद को छोड़कर पूरी कश्मीर घाटी में मुसलमानों ने बकरीद मनाई थी। बकरीद पर 45 हजार मुसलमानों ने हजरत बल दरगाह पर नमाज पढ़ी थी। इसलिए डीएफआरएसी के अनुसार, उस ट्विटर अकाउंट का दावा कि बकरीद पर घाटी में मस्जिदें बंद रहीं, फर्जी खबर है।
भ्रामक वीडियो किया गया शेयर
इसी तरह, ट्विटर अकाउंट ने 6 नवंबर, 2022 को एक रैली का वीडियो साझा कर दावा किया कि कश्मीर की पहचान बदलने और परिसीमन के खिलाफ पूरी कश्मीर घाटी में विरोध प्रदर्शन हो रहे हैं। जबकि डीएफआरएसी टीम की जांच में पता चला कि वह रैली कश्मीर की पहचान बदलने के खिलाफ नहीं हो रही थी। बल्कि कुपवाड़ा से जम्मू तक बक्करवाल और गुज्जर समुदाय के लोग सरकार के खिलाफ विरोध प्रदर्शन कर रहे थे। उनके प्रदर्शन करने का कारण पर्वतीय लोगों को एसटी की श्रेणी में शामिल किए जाने की मांग थी।
इसके अलावा, वही अकाउंट ने 5 अक्टूबर, 2022 को ट्विटर पर एक वीडियो साझा करते हुए दावा किया कि भारतीय सेना ने छह कश्मीरी युवकों की हत्या कर दी है। डीएफआरएसी ने इस खबर को भी अपनी जांच में पूरी तरह से फर्जी पाया।