नई दिल्ली । विराट कोहली ने बॉर्डर-गावस्कर ट्रॉफी के चौथे टेस्ट में अपने तीन साल के शतक के सूखे को समाप्त किया। ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ अहमदाबाद में विराट कोहली ने अपने टेस्ट करियर का 28वां शतक जमाया। मैच के बाद कोहली ने स्वीकार किया कि कम स्कोर पर आउट होने से वो परेशान हो रहे थे।
कोहली ने 364 गेंदों में 15 चौके की मदद से 186 रन बनाए। उनकी पारी की बदौलत भारत ने ऑस्ट्रेलिया की पहली पारी 480 रन के जवाब में 571 रन बनाए। हालांकि, यह टेस्ट ड्रॉ रहा और भारत ने बॉर्डर-गावस्कर ट्रॉफी 2-1 से अपने नाम की। हेड कोच राहुल द्रविड़ के साथ बातचीत में 34 साल के कोहली ने खुलासा किया कि उम्मीदों का भार उनके लिए संभालना मुश्किल हो रहा था।
शतक जमाना क्यों था जरूरी?
बीसीसीआई ने राहुल द्रविड़ और विराट कोहली का बातचीत करते हुए एक वीडियो पोस्ट किया है। कोहली ने कहा, ‘ईमानदारी से कहूं तो कम स्कोर के कारण मेरे ऊपर परेशानी बढ़ रही थी। शतक जमाने की भूख ऐसी चीज है जो आपको बतौर बल्लेबाज बढ़ाती है। एक समय तक मैंने अपने साथ ऐसा होने दिया। मगर इसका दूसरा पक्ष यह है कि मैं उन लोगों में से नहीं, जो 40-45 रन बनाकर खुश हो जाए। मैं टीम के प्रदर्शन करके गर्व महसूस करता हूं।’
उन्होंने आगे कहा, ‘ऐसा नहीं है कि कब विराट कोहली को खड़े होकर लंबी पारी खेलनी है। जब मैं 40 रन पर खेल रहा होता हूं तो पता होता है कि 150 रन बना सकता हूं। यह मुझे खाए जा रहा था। मैं टीम के लिए बड़ा स्कोर क्यों नहीं बना रहा था? मुझे इसमें मजा आता है कि जब टीम को जरुरत हो तो मैं खड़ा रहूं और मुश्किल स्थिति में रन बनाऊं। तथ्य यह है कि जब मैं ऐसा नहीं कर पा रहा था तो परेशान हो रहा था।’
चुनौतियों को कैसे पार किया
हेड कोच राहुल द्रविड़ ने पूछा कि रन नहीं बना रहे थे तब कितना मुश्किल लग रहा था। कोहली ने जवाब दिया, ‘अगर मैं एकदम सच कहूं तो यह बहुत मुश्किल होता है क्योंकि जिस पल आप होटल के कमरे से बाहर निकलते हैं, तो बाहर मिलने वाले व्यक्ति से लेकर बस ड्राइवर तक सभी कहते हैं कि हमें शतक चाहिए।’
पूर्व भारतीय कप्तान ने आगे कहा, ‘तो यह हर समय आपके दिमाग में चलता रहता है, लेकिन लंबे समय तक खेलने की अच्छी बात यही है कि आप इन चुनौतियों से पार पाते हैं।’ कोहली ने साथ ही कहा कि वो कभी कीर्तिमानों की परवाह नहीं करते हैं।