नईदिल्ली : सुप्रीम कोर्ट ने बीजेपी नेता अनुराग ठाकुर और प्रवेश वर्मा के हेट स्पीच मामले में दिल्ली सरकार और दिल्ली के पुलिस कमिश्नर से जवाब मांगा है. प्रवेश वर्मा और अनुराग ठाकुर के खिलाफ एफआईआर दर्ज करने की मांग को लेकर सुप्रीम कोर्ट याचिका दायर की गई है, जिस पर सुनवाई के दौरान शीर्ष अदालत ने ये आदेश दिया है.
अनुराग ठाकुर और प्रवेश वर्मा के खिलाफ हेट स्पीच मामले में निचली अदालत ने प्राथमिकी दर्ज करने से निचली अदालत ने आदेश से इनकार कर दिया था. इस आदेश के खिलाफ दिल्ली हाई कोर्ट ने इसके खिलाफ याचिका को खारिज कर दिया था. सीपीएम नेता वृंदा करात ने इसके खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की है. इसी याचिका पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली पुलिस से जवाब देने को कहा है.
गोली मारने वाले बयान पर टिप्पणी
जस्टिस केएम जोसेफ और बीवी नागरत्ना की पीठ ने याचिका पर दिल्ली पुलिस को नोटिस जारी किया और तीन सप्ताह के भीतर जवाब देने को कहा है. सुनवाई के दौरान पीठ ने मजिस्ट्रेट के इस रुख पर गौर किया कि बीजेपी नेताओं के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज करने के लिए मंजूरी लेने की आवश्यकता सही नहीं थी.
पीठ ने मौखिक टिप्पणी में यह भी कहा, गोली मारने का मतलब दवा वाली गोली से तो नहीं हो सकता है. जस्टिस जोसेफ ने कहा, मैं समझता हूं कि गद्दार से मतलब देशद्रोही है. यहां गोली मारने का मतलब दवा वाली गोली तो नहीं होगा.
हाई कोर्ट ने खारिज की थी याचिका
पिछले साल 13 जून को, दिल्ली हाई कोर्ट ने बीजेपी के दो सांसदों की कथित हेट स्पीच के खिलाफ सीपीएप नेताओं बृंदा करात और केएम तिवारी की याचिका को खारिज कर दिया था. हाई कोर्ट ने निचली अदालत के आदेश में हस्तक्षेप करने से इनकार करते हुए कहा था कि कानून के तहत मौजूदा संदर्भ में एफआईआर दर्ज करने के लिए सक्षम प्राधिकारी से मंजूरी लेना जरूरी है.
याचिकाकर्ताओं ने ट्रायल कोर्ट के समक्ष अपनी शिकायत में दावा किया था कि ठाकुर और वर्मा ने “लोगों को उकसाने की कोशिश की थी, जिसके परिणामस्वरूप दिल्ली में दो अलग-अलग विरोध स्थलों पर गोलीबारी की तीन घटनाएं हुईं.”
2020 में अनुराग ने दिया था भाषण
याचिकाकर्ताओं ने आरोप लगाया कि 27 जनवरी, 2020 को राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली के रिठाला में एक रैली में अनुराग ठाकुर ने शाहीन बाग में बैठे सीएए विरोधी प्रदर्शनकारियों के खिलाफ भीड़ को उकसाते हुए कहा था- देश के गद्दारों को गोली मारो. दावा किया कि प्रवेश वर्मा ने भी 28 जनवरी, 2020 को शाहीन बाग के प्रदर्शनकारियों के खिलाफ भड़काऊ भाषण दिया था.
ट्रायल कोर्ट ने 26 अगस्त, 2021 को याचिकाकर्ताओं की शिकायत को कमजोर आधार पर खारिज कर दिया था. कोर्ट ने कहा था कि इस मामले में सक्षम अधिकारी से अपेक्षित मंजूरी नहीं ली गई थी.