नई दिल्ली : भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन यानी इसरो (ISRO) ने सोमवार को भूस्थिर उपग्रह प्रक्षेपण यान (जीएसएलवी) के जरिए एक नौवहन उपग्रह को लॉन्च किया है। इसके लॉन्च के बाद इसरो की ओर से कहा गया है कि GSLV-F12 ने नेविगेशन उपग्रह NVS-01 को सफलतापूर्वक इच्छित कक्षा में स्थापित कर दिया है। इसरो ने श्रीहरिकोटा स्थित सतीश धवन स्पेस सेंटर से सुबह 10 बजकर 42 मिनट पर 51.7 मीटर ऊंचे रॉकेट से NVS-01 लॉन्च किया।
यह मिशन इसरो के इस साल का तीसरा सफल मिशन साबित हुआ है। यह सैटेलाइट किसी भी स्थान की सबसे सटीक रियल टाइम पोजिशनिंग बताएगा। इसके पहले फरवरी और मार्च में भी इसरो ने दो सफल मिशन को अंजाम दिया है।
इसरो ने और भी कई बड़े मिशन को लेकर प्लानिंग की है। इस खबर में हम आपको बताएंगे कि साल 2023 इसरो के लिए कैसे अहम साबित हो सकता है।
भारत द्वारा साल का पहला लॉन्च
इस साल 10 फरवरी को इसरो ने आंध्र प्रदेश के श्रीहरिकोटा से अपने सबसे छोटे रॉकेट SSLV-D2 की दूसरी विकासात्मक उड़ान को सफलतापूर्वक लॉन्च किया था। एसएसएलवी-डी2 ने अपने साथ तीन सैटेलाइट लेकर अंतरिक्ष की उड़ान भरी। 120 टन वजनी 34 मीटर लंबे SSLV-D2 ने सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र के पहले लॉन्च पैड से उड़ान भरी।
SSLV-D2 ने सफलतापूर्वक पृथ्वी अवलोकन उपग्रह (Earth Observation Satellite), जेएएनयूएस-1 और चेन्नई स्थित स्पेस स्टार्टअप SpaceKidz’s AzaadiSAT-2 को उनकी इच्छित कक्षा में स्थापित कर दिया। आपको बता दें, सैटेलाइट जेएएनयूएस-1 अमेरिकी कंपनी अंतारिस का है। वहीं, सैटेलाइट आजादी सेट-2 चेन्नई के स्पेस स्टार्टअप स्पेसकिड्ज की है और तीसरी ईओएस-07 इसरो द्वारा तैयार की गई सैटेलाइट है।
जब भारत ने बना दिया रिकॉर्ड
भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) ने 36 वनवेब इंटरनेट उपग्रहों (Satellites) को 26 मार्च को अंतरिक्ष में लॉन्च कर इतिहास रच दिया है। इस रॉकेट को भी आंध्र प्रदेश के श्रीहरिकोटा में सतीश धवन अंतरिक्ष केन्द्र से लॉन्च किया गया था।
5,805 किलोग्राम वजन वाला यह रॉकेट ब्रिटेन (UK) स्थित नेटवर्क एक्सेस एसोसिएटेड लिमिटेड (वनवेब) के 36 सैटेलाइट्स को अंतरिक्ष में ले गया है। इसरो द्वारा रॉकेट मिशन कोड का नाम LVM3-M3/ वनवेब इंडिया-2 मिशन रखा गया था।
लॉन्च होने के ठीक 19 मिनट बाद ही सैटेलाइट्स की अलग-अलग होने की प्रक्रिया शुरू हो गई थी, जिसके बाद यह 36 सैटेलाइट्स अलग-अलग चरणों में पृथक हो गई थी। इस सफल अभियान से दुनिया के हर हिस्से में स्पेस आधार ब्रॉडबैंड इंटरनेट योजना में मदद मिलेगी।
अंतरिक्ष में 424 हुई विदेशी सैटेलाइट्स की संख्या
22 अप्रैल को भारत ने अपने PSLV C-55 के साथ सिंगापुर के दो सेटेलाइट्स अंतरिक्ष में भेजे थे। भारत ने आंध्र प्रदेश के श्रीहरिकोटा स्थित सतीश धवन अंतरिक्ष केन्द्र से पीएसएलवी सी-55 के साथ सिंगापुर के TeLEOS-2 और LUMILITE-4 अंतरिक्ष में भेजे थे। इस लॉन्च के बाद, विशेषज्ञों को मौसम की सही जानकारी मिलने में मदद मिली और समुद्री सुरक्षा के क्षेत्र में भी यह सहायक सिद्ध होगा।
ऐसा पहली बार नहीं था कि भारत ने किसी विदेशी सैटेलाइट को लॉन्च किया हो। इससे पहले भी इसरो कई बार विदेशी सैटेलाइट को लॉन्च कर चुका है। इसरो की ओर से लॉन्च किए गए विदेशी सैटेलाइट की संख्या 424 हो चुकी है।
29 मई को GSLV-F12 ने नेविगेशन उपग्रह NVS-01 के सफल लॉन्च के बाद इसरो की ओर से इस बात की पुष्टि कर दी गई है कि जुलाई में चंद्रयान-3 को लॉन्च कर दिया जाएगा। हालांकि, अभी इसके लिए एक विशेष तारीख की घोषणा नहीं की गई है, लेकिन संगठन ने साफ कर दिया है कि यह लॉन्च जुलाई महीने में किया जाएगा।
सूत्रों के मुताबिक, अगर सब कुछ सही रहता है, तो जुलाई के दूसरे हफ्ते में चंद्रयान-3 को लॉन्च कर दिया जाएगा। चंद्रयान-3 को श्रीहरिकोटा से LVM-3 द्वारा लॉन्च किया जाएगा। यह चांद के सतह पर उतरेगा और वहां पर परीक्षण करेगा। यह मिशन भारत के लिए काफी महत्व रखता है।
भारतीय अंतरिक्ष एजेंसी इसरो ने इसी साल के आखिर में गगनयान मिशन लॉन्च की योजना बनाई है। यह पहला मानव रहित मिशन मानव-रेटेड प्रक्षेपण ऑर्बिट मॉड्यूल सिस्टम के प्रदर्शन के लिए होगा। अगर भारत का यह मिशन सफल होता है, तो भारत अंतरिक्ष में मानव भेजने वाले देशों में अपना नाम दर्ज करा लेगा।गगनयान मिशन तीन चरणों में पूरा होगा। इसका पहला चरण मानव रहित होगा। हालांकि, दूसरे चरण में एक रोबोट को भेजा जाएगा और आखिरी यानी तीसरे चरण में अंतरिक्ष में तीन एस्ट्रोनॉट को भेज दिया जाएगा।
आदित्य एल-1 सन मिशन
सूर्य की स्थिति पर और भी बेहतरीन तरीके से स्टडी करने और स्टार के इवोल्यूशन के लिए अमेरिका और यूरोप के बाद अब भारत ने भी अपने स्पेशल लॉन्च की योजना बनाई है। आदित्य एल-1 मिशन को 2023 में भारत द्वारा लॉन्च करने की इसरो की तरफ से योजना बनाई जा रही है।
अंतरिक्ष यान को सूर्य-पृथ्वी सिस्टम के लाग्रांज प्वाइंट-1 (L1) के चारों ओर एक हेलो आर्बिट में रखा जाएगा, जिससे सूर्य को बिना किसी ग्रहण के ही देख पाना संभव हो जाएगा। इस मिशन में सूर्य के कोरोना, क्रोमोस्फीयर और फोटोस्फीयर, इससे निकलने वाले कण प्रवाह और चुंबकीय क्षेत्र की ताकत का अध्ययन करना आसान हो जाएगा।
इसरो अधिकारियों के मुताबिक, अंतरराष्ट्रीय स्तर पर इसरो का यह मिशन काफी महत्वपूर्ण है। लगभग पिछले 10 सालों से इस मिशन पर काम चल रहा था, लेकिन कोविड के दौरान इसमें थोड़ा विलंब हो गया। हालांकि, अब यह मिशन अपने आखिरी पड़ाव में है। इस मिशन के बाद भारत सूर्य के पास अंतरिक्ष यान भेजने वाला दुनिया का चौथा देश बन जाएगा। अमेरिका, जर्मनी व यूरोपीय स्पेस एजेंसी सूर्य पर यान भेज चुके हैं।