नईदिल्ली : भारतीय क्रिकेट हनुमा विहारी और आंध्र क्रिकेट बोर्ड (ACA) के बीच चल रहे विवाद ने अब एक नया मोड़ ले लिया क्योंकि एसीए ने सोमवार को इस सीनियर बल्लेबाज के खिलाफ जांच शुरू करने का ऐलान किया है. विहारी ने सोशल मीडियो पोस्ट्स के जरिए आंध्र बोर्ड पर मौजूदा घरेलू क्रिकेट सीजन की शुरुआत में कप्तानी पद से इस्तीफा देने के लिए मजबूर करने का आरोप लगाया है.
26 फरवरी को मध्यप्रदेश के खिलाफ क्वार्टर फाइनल मैच में चार रन से हार के बाद आंध्र प्रदेश का रणजी ट्रॉफी अभियान खत्म होने के बाद विहारी ने कहा कि राज्य संघ के दुर्व्यवहार’ के कारण वह कभी भी टीम के लिए नहीं खेलेंगे. उन्होंने कहा कि सीजन के पहले मैच के बाद उन्होंने इस्तीफा नहीं दिया था बल्कि उन्हें पद छोड़ने को कहा गया था.
जिसके जवाब में एसीए ने प्रेस रिलीज में कहा, विहारी के अभद्र भाषा के इस्तेमाल और अपमानजनक व्यवहार के बारे में टीम के साथियों, सहयोगी स्टाफ और एसीए प्रशासकों से शिकायतें मिली थीं. एसीए सभी शिकायतों की गहन जांच करेगा और उचित कार्रवाई के बारे में सूचित किया जाएगा.’’ विहारी ने टीम के एक साथी (एक राजनेता के बेटे) पर भी निशाना साधा जिस पर उन्होंने आरोप लगाया था कि एक मैच के दौरान उस पर चिल्लाने के बाद उसने अपने पिता से उनके खिलाफ कार्रवाई करने के लिए कहा था.
एसीए ने कहा कि उसे उस वक्त जूनियर खिलाड़ी से विहारी के बारे में शिकायत मिली थी. बयान में कहा गया, यह हमारे ध्यान में आया है कि विहारी ने बंगाल के खिलाफ रणजी मैच के दौरान सबके सामने एक विशिष्ट खिलाड़ी के खिलाफ अभद्र भाषा का इस्तेमाल किया. प्रभावित खिलाड़ी ने एसीए के पास एक आधिकारिक शिकायत दायर की है.’’ विहारी ने अपने ट्विटर अकाउंट पर आंध्र टीम के कई खिलाड़ियों के हस्ताक्षर वाले अपने बयान का लेटर भी पोस्ट किया. जिसके साथ कैप्शन में उन्होंने लिखा, पूरी टीम जानती है (उस दिन क्या हुआ था).’’
विहारी ने इंस्टाग्राम पर लिखा, दुखद बात यह है कि संघ का मानना है कि वे जो भी कहें खिलाड़ी को वह सुनना होगा और खिलाड़ी उनकी वजह से ही वहां हैं. मैंने फैसला किया है कि मैं आंध्र के लिए कभी नहीं खेलूंगा जहां मैंने अपना आत्मसम्मान खो दिया है. मैं टीम से प्यार करता हूं. जिस तरह से हम हर सत्र में प्रगति कर रहे थे वह मुझे पसंद है लेकिन संघ नहीं चाहता कि हम आगे बढ़ें.’’
विहारी ने सीजन की शुरुआत आंध्र के कप्तान के रूप में की थी लेकिन पहले मैच के बाद उन्होंने पद छोड़ दिया था और रिकी भुई को कप्तान बनाया गया. उस समय विहारी ने कप्तानी छोड़ने के लिए व्यक्तिगत कारणों’ को जिम्मेदार ठहराया था लेकिन अब दाएं हाथ के इस बल्लेबाज ने कहा कि संघ ने उन्हें इस्तीफा देने के लिए कहा था.
विहारी ने कहा, बंगाल के खिलाफ पहले मैच में मैं कप्तान था. उस मैच के दौरान मैं 17वें खिलाड़ी पर चिल्लाया और उसने अपने पिता (जो एक राजनेता है) से शिकायत की, बदले में उसके पिता ने संघ से मेरे खिलाफ कार्रवाई करने के लिए कहा. मुझे बिना किसी गलती के कप्तानी से इस्तीफा देने के लिए कहा गया. मैंने खिलाड़ी से व्यक्तिगत तौर पर कभी कुछ नहीं कहा.’’
लेकिन एसीए ने कहा कि नया कप्तान नियुक्त करने का फैसला विहारी की संभावित अनुपलब्धता को देखते हुए लिया गया क्योंकि वह भारत के संभावित खिलाड़ी थे. इस मामले में जिस खिलाड़ी पर सवाल उठ रहा है वह केएन प्रुधवी राज है जिन्होंने इंस्टाग्राम पर विहारी पर झूठे दावे करने का आरोप लगाया.
राज ने लिखा, सभी को नमस्कार! मैं वही लड़का हूं, आप लोग जिसे कमेंट बॉक्स में खोज रहे हैं, आप लोगों ने जो भी सुना वह बिल्कुल झूठ है, खेल से बढ़कर कोई नहीं है और मेरा आत्म सम्मान किसी भी चीज से बहुत बड़ा है. व्यक्तिगत हमले और अभद्र भाषा किसी भी प्रकार के मानवीय मंच पर अस्वीकार्य है. टीम में हर कोई जानता है कि उस दिन क्या हुआ था. नुवु इंथाकु मिनची इम्मी पिक्कुलेवु (आपको इससे बेहतर कुछ नहीं मिल सकता) मिस्टर तथाकथित चैंपियन. इस सहानुभूति के खेल को जैसा चाहो वैसे खेलो.’’
मध्य प्रदेश के खिलाफ पिछले साल के रणजी ट्रॉफी क्वार्टर फाइनल मैच को याद करते हुए 30 साल के विहारी ने कहा कि वह चोट के बावजूद उस मुकाबले में खेले.
उन्होंने कहा, मैंने खिलाड़ी को व्यक्तिगत रूप से कभी कुछ नहीं कहा लेकिन संघ ने सोचा कि वह खिलाड़ी उस व्यक्ति से अधिक महत्वपूर्ण है जिसने पिछले साल अपना शरीर दांव पर लगा दिया और बाएं हाथ से बल्लेबाजी की, पिछले सात साल में पांचवीं बार आंध्र को नॉकआउट में जगह दिलाई और भारत के लिए 16 टेस्ट खेले. मुझे शर्मिंदगी महसूस हुई लेकिन इस सत्र में खेलना जारी रखने का एकमात्र कारण यह था कि मैं खेल और अपनी टीम का सम्मान करता हूं.’’
मौजूदा 2023-2024 के घरेलू सीजन से पहले विहारी के मध्य प्रदेश से जुड़ने की अटकलें थीं लेकिन करार को अंतिम रूप देने में विफल रहने के बाद उन्होंने आंध्र के साथ रहने का फैसला किया.