नईदिल्ली I आज के समय में कोरोना का प्रभाव जरूर कम हुआ है लेकिन अभी तक एक बड़ी आबादी इससे जूझ रही है. कोरोना के रोकथाम के लिए अब तक कई वैक्सीन बाजारों में आ चुकी हैं. एस्ट्राजेनेका कोविड महामारी की रोकथाम के लिए एक नए तरह के वैक्सीन पर काम कर रही थी. इस नेजल स्प्रे कोविड वैक्सीन को बनाने में कंपनी ने काफी पैसा और समय दोनों खर्च किया लेकिन जब शुरूआती परिक्षण की बारी आई तो वैक्सीन अपनी परीक्षा में फेल हो गई. ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय के वैज्ञानिकों की मानें तो यह वैक्सीन शरीर में कोई मजबूत प्रतिरक्षा तैयार नहीं कर पाई. एस्ट्राजेनेका के इस तरह फेल होने का असर उसके शेयरों पर भी दिखा. आपको बता दें कि एस्ट्राजनेका के शेयर में इस बीच 1 फीसदी की गिरावट देखी गई.
एस्ट्रा परीक्षण के प्रमुख अन्वेषक सैंडी डगलस का कहना है कि नेजल स्प्रे वैक्सीन की विफलता से हमें पता चलता है कि इसे बनाने में अभी कई चुनौतियां हमारे सामने हैं. उन्होंने आगे कहा कि टीकों को बनाने में अभी और वक्त लगेगा.
क्या निकला निष्कर्ष में
कार्डिफ विश्वविद्यालय में संक्रामक रोगों पर स्टडी करने वाले एंड्रयू फ्रीडमैन ने कहा कि नेजल स्प्रे कोविड वैक्सीन ने शुरुआती परीक्षण में जो परिणाम दिए हैं वो काफी निराश करते हैं लेकिन नेजल स्प्रे को डेवलप करने के लिए रिसर्च को जारी रखना चाहिए. इसके साथ रिसर्च में और समय देना चाहिए. आपको बता दें कि इस टीके के लिए साल 2021 में काम शुरू किया गया था और साल 2022 में इसका परीक्षण किया गया. गौरतलब है कि टीके से जुड़े निष्कर्ष द लैंसेट की ईबायोमेडिसिन ओपन एक्सेस जर्नल में प्रकाशित किए गए थे.