छत्तीसगढ़

1985 में मशाल चुनाव चिह्न पर शिवसेना ने दर्ज की थी पहली जीत, पैसे नहीं थे इसलिए बाल ठाकरे ने चुना था ये सिंबल

मुंबई I भारत के चुनाव आयोग (ECI) ने सोमवार (10 अक्टूबर) को शिवसेना के उद्धव ठाकरे के नेतृत्व वाले धड़े को ‘जलती मशाल’ का चुनाव चिह्न आवंटित करने का फैसला किया. साथ ही दल को एक नया नाम भी दिया गया है. अब महाराष्ट्र के पूर्व सीएम उद्धव ठाकरे के गुट को ‘शिवसेना- उद्धव बालासाहेब ठाकरे’ कहा जाएगा.

बाल ठाकरे द्वारा स्थापित शिवसेना का ‘जलती मशाल’ चुनाव चिह्न के साथ पुराना नाता रहा है. 1985 में जब पार्टी के पास समर्पित चुनाव चिह्न नहीं था तो मशाल के सिंबल पर ही चुनाव जीता था. उस समय महाराष्ट्र विधानसभा में शिवसेना के एकमात्र विधायक छगन भुजबल मझगांव निर्वाचन क्षेत्र से मशाल के सिंबल पर चुनाव जीते थे.

छगन भुजबल ने सुनाया किस्सा

एक समर्पित चुनाव चिह्न नहीं होने के कारण भुजबल और पूर्व मुख्यमंत्री मनोहर जोशी सहित शिवसेना के अन्य उम्मीदवारों ने चुनाव लड़ने के लिए विभिन्न चुनाव चिह्नों का चयन किया था. जिसमें उगता सूरज और बल्ले व गेंद जैसे सिंबल शामिल हैं. भुजबल ने इंडियन एक्सप्रेस को बताया कि, “मैंने जलती हुई मशाल को चुना था क्योंकि ये क्रांति और प्रतीकवाद का चिह्न था जिसने महाराष्ट्र के लोगों को एक नया रास्ता दिखाया.” 

चुनाव लड़ने के लिए नहीं थे पैसे 

1985 के विधानसभा चुनाव को याद करते हुए भुजबल ने कहा कि तब चुनाव प्रचार काफी हद तक दीवार चित्रों और लेखन पर आधारित था. मशाल का फोटो दीवारों पर बनाना आसान होता था. उन्होंने कहा कि तब हमारे पास चुनाव लड़ने के लिए पैसे नहीं थे, इसलिए मैं भी वॉल पेंटिंग बनाता था. जलती हुई मशाल बनाना मेरे लिए भी सबसे आसान था. मैंने अपने अभियान के दौरान इसे बनाया और इस चिह्न ने मतदाताओं को आकर्षित किया था. इसने मुझे ऐतिहासिक जीत दिलाई और उस समय मैं विधानसभा में शिवसेना का अकेला विधायक था.

क्या उद्धव ठाकरे दोहराएंगे इतिहास?

छगन भुजबल अब राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के एक वरिष्ठ नेता हैं. उन्होंने कहा कि विधानसभा में मशाल चुनाव चिह्न के साथ उनकी जीत के बाद हर जगह शिवसेना की जीत हुई थी. उन्होंने कहा कि, “मुझे यकीन है कि उद्धव ठाकरे गुट के लिए भी कुछ ऐसा ही होगा और मशाल प्रतीक शिवसेना को महाराष्ट्र की राजनीति में नई ऊंचाइयों पर ले जाएगा.” 

शिवसेना को 1989 में मिला था धनुष और बाण

बता दें कि, 1989 में शिवसेना को स्थायी रूप से धनुष और बाण का चुनाव चिह्न सौंपा गया था और एक राज्य पार्टी के रूप में मान्यता दी गई थी. पार्टी के वरिष्ठ नेता दिवाकर रावते ने कहा कि पार्टी ने कई सिंबल पर चुनाव लड़ा था. उन्होंने कहा कि, “जब तक शिवसेना को मान्यता नहीं मिली, तब तक उसने ढाल और तलवार, उगता सूरज, रेलवे इंजन, ताड़ के पेड़ आदि के सिंबल पर चुनाव लड़ा था. पार्टी को 1989 में अपना चुनाव चिह्न धनुष और बाण मिला था.”