नईदिल्ली I देश में समान नागरिक संहिता लागू करने की मांग लंबे समय से की जा रही है, और इससे जुड़ीं कुछ याचिकाएं भी सुप्रीम कोर्ट में लंबित हैं. समान नागरिक संहिता को लेकर सबसे बड़ी अदालत में जारी सुनवाई के दौरान आज मंगलवार को केंद्र सरकार ने दाखिल अपने हलफनामे में कोर्ट से कहा कि समान नागरिक संहिता (UCC) के लिए जनहित याचिका सुनवाई योग्य नहीं है. साथ ही केंद्र ने यह भी कहा कि यूसीसी बनाने के लिए संसद को किसी तरह का कोई निर्देश नहीं दिया जा सकता.
समान नागरिक संहिता को लेकर कानून मंत्रालय की ओर से सुप्रीम कोर्ट में दाखिल अपने पहले हलफनामा में केंद्र ने कहा कि यूसीसी बनाने के लिए संसद को कोई निर्देश नहीं दिया जा सकता. केंद्र ने समान नागरिक संहिता की मांग वाली याचिका का विरोध किया. साथ ही केंद्र से देश की सर्वोच्च न्यायालय से यह भी कहा कि याचिकाकर्ता अश्विनी उपाध्याय की जनहित याचिका को जुर्माने के साथ खारिज कर दी जाए.
केंद्र की ओर से यह भी कहा गया कि यूसीसी के लिए व्यापक परामर्श की दरकार है. इसके लिए समिति का गठन किया जाए और जब यह गठित होगा तो इसे देश के विधि आयोग के समक्ष रखा जाएगा.
SC में IPS अधिकारी की फोन टैपिंग से जुड़े केस की सुनवाई
IPS अधिकारी की फोन टैपिंग से जुड़े मामले की भी आज सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हो रही है. सीजेआई यूयू ललित की पीठ से वकील महेश जेठमलानी ने कहा कि यह NAN Scam मामले से संबंधित है, जिस पर आज बाद में सुनवाई होगी. पुलिस अफसर को बेतुकी एफआईआर से परेशान किया गया है. मूल प्राथमिकी 2 अक्टूबर की है. इस दौरान उन्होंने उसका फोन टैप करना शुरू कर दिया.
धर्मसंसद केसः सुनवाई के दौरान CJI ने पूछा- वक्ता कौन?
एक अन्य मामले में धर्मसंसद मामले में सुप्रीम कोर्ट से वरिष्ठ अधिवक्ता सिब्बल ने कहा कि लोगों की सुरक्षा के लिए तत्काल कुछ आदेश पारित करें. ऐसे में यह समझना मुश्किल है कि ऐसा क्यों हो रहा है, क्या सुरक्षा दी जा सकती है?
CJI यूयू ललित ने पूछा कि वक्ता कौन हैं? जवाब में वरिष्ठ वकील कपिल सिब्बल ने कहा कि स्पीकर राजनीतिक दलों और धर्म संसद के सदस्य होते हैं. रोज कुछ न कुछ कहा जाता है. इस पर सीजेआई ललित ने कहा कि क्या आप विशिष्ट घटना के खिलाफ यहां आए हैं?
कलकत्ता HC के आदेश पर सुनवाई टली
दूसरी ओर, सुप्रीम कोर्ट में कलकत्ता हाईकोर्ट के आदेश को चुनौती देने वाली याचिका पर आज सुनवाई टल गई है. दिवाली के बाद मामले की सुनवाई होगी. हाईकोर्ट ने सीबीआई को राज्य सरकार की सहमति के बिना पश्चिम बंगाल में रेलवे के माध्यम से कोयले के अवैध खनन और परिवहन की जांच करने की अनुमति दी थी.