छत्तीसगढ़

सुप्रीम कोर्ट ने कैदियों के लिए वोटिंग के अधिकार की मांग वाली जनहित याचिका पर केंद्र, चुनाव आयोग से मांगा जवाब

नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को जन प्रतिनिधित्व अधिनियम के एक प्रावधान की वैधता को चुनौती देने वाली जनहित याचिका पर केंद्र और चुनाव आयोग से जवाब मांगा, जो एक कैदी को मतदान से रोकता है। मुख्य न्यायाधीश उदय उमेश ललित और न्यायमूर्ति एस रवींद्र भट और न्यायमूर्ति बेला एम त्रिवेदी की पीठ ने वकील जोहेब हुसैन की दलीलों पर ध्यान दिया और गृह मंत्रालय (MHA) और चुनाव आयोग को नोटिस जारी किया।

याचिका 2019 में राष्ट्रीय विधि विश्वविद्यालय के छात्र आदित्य प्रसन्ना भट्टाचार्य द्वारा दायर की गई थी, जिसमें जनप्रतिनिधित्व अधिनियम की धारा 62 (5) की संवैधानिक वैधता को चुनौती दी गई थी, जो जेल में बंद व्यक्ति को चुनाव में वोट डालने से रोकती है। पीठ ने जनहित याचिका पर आगे की सुनवाई 29 दिसंबर को तय की है।

क्या कहती है जनप्रतिनिधित्व अधिनियम की धारा 62 (5)?

कोई भी व्यक्ति किसी भी चुनाव में मतदान नहीं करेगा यदि वह जेल में बंद है, चाहे वह कारावास या परिवहन की सजा के तहत या अन्यथा, या पुलिस की कानूनी हिरासत में है। बशर्ते कि इस उप-धारा में कुछ भी उस व्यक्ति पर लागू नहीं होगा जो किसी भी कानून के तहत निवारक निरोध के अधीन है।

केंद्र के फैसले को चुनौती देने वाली याचिका पर सुनवाई करेगा सुप्रीम कोर्ट

शीर्ष अदालत ने सोमवार को मतदाता सूची डेटा को आधार से जोड़ने के केंद्र के फैसले को चुनौती देने वाली याचिका पर सुनवाई करने के लिए तैयार हो गया है। न्यायमूर्ति एस के कौल और न्यायमूर्ति अभय एस ओका की पीठ ने पूर्व मेजर जनरल एस जी वोम्बतकेरे द्वारा दायर याचिका को इसी तरह के लंबित मामले के साथ टैग किया है।