कोरबा : श्री त्रिपुर तीर्थयात्रा स्पेशल ट्रेन में कोरबा जिले के एक तीर्थयात्री की मौत हो गई, जिसके बाद यात्रियों ने जमकर हंगामा किया। मौत के बाद यात्रा समिति ने शव ले जाने की व्यवस्था नहीं की, जिसके कारण करीब 30 घंटे से ज्यादा समय तक शव के साथ अन्य यात्री सफर करने के लिए मजबूर हो गए। 38 घंटे के बाद शव को ट्रेन से लेकर परिजन कोरबा पहुंचे।
जानकारी के मुताबिक, भागीरथ बिस्वास (69 वर्ष) नाम के तीर्थयात्री अपनी पत्नी सुनीता के साथ 24 दिसंबर को 10 दिन के त्रिपुर तीर्थयात्रा के लिए ट्रेन से रवाना हुए थे। तेलंगाना में भागीरथ की तबियत बिगड़ी और ट्रेन के टॉयलेट में उनकी मौत हो गई। घटना से आक्रोशित यात्रियों ने बताया कि यात्रा समिति ने खाने-पीने के साथ ही अन्य सुविधाओं को लेकर काफी लापरवाही बरती। उन्होंने कहा कि रामेश्वरम में भी आउटर पर ट्रेन खड़ी कर दी गई थी, जिसे लेकर जमकर विवाद भी हुआ। वहीं तीर्थयात्री की मौत के बाद समिति ने शव को पहुंचाने तक की व्यवस्था नहीं की। उन्हें शव के साथ यात्रा करनी पड़ी। 38 घंटे बाद ट्रेन जब कोरबा पहुंची, तब जाकर लोगों ने राहत की सांस ली।
भागीरथ बिस्वास कोरबा जिले का रहने वाला था। वो कोतवाली थाना इलाके के नारायण अपार्टमेंट में रहता था। उनके कोई बच्चे नहीं थे। टीपी नगर में भागीरथ की एक दुकान थी, जिसे बेचने के बाद जो पैसे मिले, उससे उन्होंने एक नया घर खरीदा था। पति-पत्नी की इच्छा थी कि मौत से पहले वे चारधाम की यात्रा करें। मृतक के साथी समीर चन्द्रलोद ने बताया कि इस यात्रा में भारी अव्यवस्था थी। खाना भी बहुत खराब था, पानी की व्यवस्था नहीं थी। जिस समय उनके दोस्त भागीरथी बिस्वासकी तबियत बिगड़ी, उस समय कोई डॉक्टर भी उपलब्ध नहीं था। ट्रेन कभी भी कहीं भी रुक जाती थी, ऐसे में यात्रियों को काफी परेशानियों का सामना करना पड़ा।
वहीं सारे आरोपों को खारिज करते हुए त्रिपुर यात्रा समिति के मैनेजर शुभरतो गांगुली ने बताया कि यात्री की तबियत बिगड़ने पर उसे डॉक्टर से दिखाया गया था। ट्रेन में डॉक्टर मौजूद था। ट्रेन में 1600 यात्री यात्रा कर रहे थे और उनके खाने-पीने की पर्याप्त व्यवस्था की गई थी।