छत्तीसगढ़

छत्तीसगढ़ : लेटलतीफी होगी कम, लगेंगे आटोमैटिक सिग्नल, 120 की जगह 240 ट्रेनें पूरी क्षमता से दौड़ सकेंगी, 1 साल में ट्रेनों की संख्या 25% तक बढ़ी

रायपुर : रायपुर मंडल अब सभी जगह आटोमैटिक सिग्नल लगाने जा रहा है। इससे ट्रेनों की हो रही लेटलतीफी कम हो जाएगी। दरअसल, पिछले एक साल में ट्रेनों की संख्या 25 फीसदी तक बढ़ गई है। पहले 120 ट्रेनें चलती थीं, अब 145 ट्रेनें चल रही हैं। लेकिन पटरियों की क्षमता उतनी ही है।

सिग्नल आटोमैटिक नहीं होने से जगह जगह ट्रेनों को रोकने की जरूरत पड़ती है, जिससे लगभग सभी ट्रेनें लेट से पहुंच रही है। रेलवे का मानना है कि आटोमैटिक सिग्नल लगने के बाद क्षमता इतनी ज्यादा हो जाएगी कि जिस रफ्तार से अभी 120 ट्रेनें चलाई जा रही हैं, उसी रफ्तार से 240 ट्रेनें चल सकेंगी। यानी क्षमता दोगुनी हो जाएगी।

रायपुर स्टेशन आने वाली ट्रेनों की लेटलतीफी का सिलसिला जारी है। रेलवे चाह कर भी ट्रेनों की गति को सुधार नहीं पा रहा है। ट्रेनों की संख्या बढ़ने से पटरियां खाली नहीं रहती हैं। रायपुर रेलवे स्टेशन में कोरोना के पहले करीब 50 हजार यात्री आवाजाही करते थे। कोरोना काल के बाद इनकी संख्या 70 हजार पहुंच गई है। अभी हावड़ा, कटनी और नागपुर की तरफ आने वाली सभी गाड़ियां रोजाना 13 से 14 घंटे लेट हो रही हैं।

ऑटोमेटिक सिग्नल से क्षमता बढ़ेगी

एक स्टेशन से दूसरे स्टेशन के बीच की दूरी 12 से 15 किलोमीटर तक होती है। ट्रेन को यह दूरी तय करने में 15 मिनट का समय लगता है। पहले गई ट्रेन के पीछे 15 मिनट के बाद दूसरी ट्रेन चलाई जाती है। रेलवे इस समय को कम कर सात से आठ मिनट करने की पूरी तैयारी कर रहा है। इसी कारण आटोमैटिक सिग्नल लग रहे हैं।

ट्रेनों को पार करने होते हैं तीन घाट

बिलासपुर जोन में सालेकसा और दर्रेकसा, खोड़री से खेमसरा और झारसुगुड़ा और रायगढ़ के बीच तीन घाट हैं। यहां ट्रेनें स्लो हो जाती हैं। अब ट्रेनों की संख्या भी बढ़ रही है। इसलिए लाइन क्लियर होने में भी समय लग जाता है। रेल अफसरों का कहना है कि इन जगहों पर चौथी लाइन का निर्माण करना चाहिए, जिससे ट्रेनों को रुकना न पड़े।

मालगाड़ियों के कारण भी लग रहा है समय

मुंबई मेल, आजाद हिंद, दूरंतो, अहमदाबाद सहित अन्य ट्रेनों की रफ्तार धीमी हो रही है। इसकी वजह कोयले से भरी मालगाड़ी है। हिमगीर से जामदा तक चढ़ाई वाला हिस्सा है। इस हिस्से में दो लोड मालगाड़ी आठ हजार टन कोयला लेकर चलते समय दम तोड़ देती है। 19 किलोमीटर पार करने में भी दो से ढाई घंटे लग रहे हैं।

मालगाड़ी और यात्री गाड़ियों की संख्या में इजाफा हुआ है। गाड़ियों को ठीक समय पर चलाया जा सके, इसके लिए आटोमैटिक सिग्नल लगाया जा रहा है। इससे इस रूट पर दोगुनी ट्रेनें चलाई जा सकेंगी और लेटलतीफी नहीं होगी।
संजीव कुमार, डीआरएम रायपुर रेलवे मंडल