छत्तीसगढ़

जेल में मिला था ऑफर, मान लेता तो पहले ही गिर जाती उद्धव सरकार, अनिल देशमुख का दावा

नई दिल्ली। नेशनलिस्ट कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) के नेता और महाराष्ट्र के पूर्व गृह मंत्री अनिल देशमुख जमानत पर जेल से रिहा होने के 15 महीनों के बाद अपने गृह नगर नागपुर पहुंचे। इस दौरान अनिल देशमुख ने चौंकाने वाले खुलासे किए हैं। साथ ही, उन्होंने दावा किया कि उनके ऊपर झूठे आरोप लगाकर फंसाया गया और जेल भेजा गया था। नागपुर पहुंचने के बाद पार्टी कार्यकर्ताओं ने नागपुर एयरपोर्ट पर अनिल देशमुख का जोरदार स्वागत किया।

‘झूठे आरोपों में फंसाया’

रविवार को एक सम्मेलन को संबोधित करते हुए एनसीपी नेता अनिल देशमुख ने कहा, “मुझे 100 करोड़ के मनी लॉन्ड्रिंग मामले में फंसाकर जेल भेजा गया था। इसे बाद में चार्जशीट में 1.71 करोड़ रुपये कर दिया गया, जांच एजेंसियां 1.71 करोड़ रुपये के लिए भी सबूत इकट्ठा करने में नाकाम रही।”

‘हाईकोर्ट को मामले में नहीं दिखा दम’

अनिल देशमुख ने दावा किया कि हाईकोर्ट ने पाया कि सीबीआई और प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने जो मामले दर्ज किए हैं, उनमें कोई दम नहीं है। उन्होंने कहा कि मुम्बई पुलिस के पूर्व आयुक्त परमबीर सिंह ने भी देशमुख के खिलाफ भ्रष्टाचार के आरोप लगाए थे, लेकिन वो आरोपों की जांच के लिए गठित चांदीवाल आयोग के समक्ष पेश नहीं हुए।

‘जेल में मिला था ऑफर’

अनिल देशमुख ने सम्मेलन में हैरान करने वाला खुलासा भी किया। उन्होंने कहा, “जब मैं जेल में बंद था तो मेरे पास ऑफर आया था, जिसे मैंने ठुकरा दिया। अगर मैं उस ऑफर को स्वीकार कर लेता तो महाविकास आघाड़ी के नेतृत्व वाली सरकार ढाई साल पहले ही गिर गई होती, लेकिन मैं न्याय में विश्वास करता हूं, इसलिए मैंने रिहा होने का इंतजार किया।”

2021 में हुई थी गिरफ्तारी

आपको बता दें, मनी लॉन्ड्रिंग मामले में अनिल देशमुख को नवंबर, 2021 में गिरफ्तार किया गया था। दरअसल, उनपर आरोप था कि महाराष्ट्र के गृह मंत्री रहते हुए उन्होंने एपीआई सचिन वाजे को ऑर्केस्ट्रा बार से हर महीने 100 करोड़ रुपये की वसूली करने का आदेश दिया था। साथ ही, मुम्बई पुलिस के पूर्व कमिश्नर परमबीर सिंह की एक चिट्ठी ने और भी कई बड़े सवाल खड़े कर दिए थे। अनिल देशमुख की गिरफ्तारी का समय पार्टी के लिए बहुत ही मुश्किल भरा था, क्योंकि उस दौरान पार्टी को कई ऐसे सवालों के जवाब देने पड़ रहे थे, जिसके लिए वो तैयार नहीं थे।