छत्तीसगढ़

Urination Case: सुप्रीम कोर्ट पहुंची पीड़िता, फ्लाइट में दुर्व्यवहार से निपटने के लिए गाइडलाइन बनाने की मांग

नईदिल्ली : एयर इंडिया की फ्लाइट में युवक ने जिस 72 साल की महिला पर पेशाब किया था, उसने अब सुप्रीम कोर्ट का रूख कर लिया है। पीड़िता ने कोर्ट से डीजीसीए और एयरलाइन कंपनियों को हवाई यात्रा के दौरान यात्रियों से होने वाले दुर्व्यवहार से निपटने के लिए गाइडलाइन बनाने का आदेश देने की मांग की है। पीड़िता ने ये भी दावा किया कि जिस युवक ने उनके ऊपर पेशाब किया था, उसके साथ समझौता करने का दबाव बनाया गया था। इस मामले में DGCA ने अपनी जिम्मेदारी नहीं निभाई।

याचिका में और क्या कहा गया? 
याचिका में पीड़िता ने दावा किया है कि इस घटना के बाद केबिन क्रू ने उसी सीट पर बैठने के लिए कहा जो गीली थी और जहां से पेशाब की गंध आ रही थी। ये भी आरोप लगाया कि उन्हें उस वक्त बताया गया कि पायलट इन-कमांड ने याचिकाकर्ता के लिए एक नई सीट के उपयोग को मंजूरी नहीं दी क्योंकि उस सीट पर पायलट सो रहा था।

याचिका में एयरक्राफ्ट रूल्स 1937 के रूल 22 और 29 का हवाला दिया गया है। इसमें विमान में सवार किसी भी व्यक्ति द्वारा किए जाने वाले कृत्यों को प्रदान करता है, जिसमें हमला, किसी यात्री की संपत्ति को नुकसान पहुंचाना या शराब का सेवन करना शामिल है, जो अन्य यात्रियों को खतरे में डाल सकता है। ऐसे मामलों से बहुत मजबूती से निपटा जाना चाहिए। 

याचिकाकर्ता का कहना है कि ऐसी घटनाओं से निपटने के लिए डीजीसीए और विमान कंपनियों को स्पष्ट गाइडलाइन बनानी चाहिए। ऐसी घटनाओं की विधिवत रूप से विभिन्न अधिकारियों को रिपोर्ट की जाए। FIR दर्ज की जाए और अपराध को स्तर 1, स्तर 2 या स्तर 3 के रूप में वर्गीकृत कर दंड और जुर्माना दिया जा सकता है। समझौते का इसमें कोई भी प्रावधान नहीं होना चाहिए।