छत्तीसगढ़

छत्तीसगढ़ : महामाया मंदिर में उमड़ा भक्तों का सैलाब, 10 साल की कन्या ही जलाती है ज्योत, अद्भुत हैं मान्यताएं

रायपुर : छत्तीसगढ़ में देवी आराधना का पर्व चैत्र नवरात्रि बड़े ही धूमधाम और हर्षोल्लास के साथ मनाया जा रहा है। श्रद्धालु सुबह से शाम तक देवी मंदिरों में दर्शन करने लिए पहुंच रहे हैं। नवरात्रि के सातवें दिन सप्तमी को रायपुर के देवी मंदिरों में दर्शन के लिए बड़ी संख्या में श्रद्धालु मंदिर पहुंचे। पुरानी बस्ती स्थित प्राचीन महामाया दरबार में सुबह से ही श्रद्धालुओं के पहुंचने का सिलसिला शुरू हो जाता है। लोग कतार में लगकर अपनी-अपनी बारी का इंतजार करते रहते हैं।

मंगलवार को भी भक्तों की बड़ी-बड़ी लाइन लगी रही। बड़ी संख्या में श्रद्धालु माता रानी के दर्शन करने पहुंचे। रायपुर और प्रदेश के अन्य जिलों से भक्तगण सुबह से ही मंदिर पहुंचने लगे थे। सप्तमी के महामाया माता रानी का विशेष श्रृंगार किया गया। वहीं बुधवार की रात 12 बजे से मंदिर में विशेष अनुष्ठान और पूजा किया गया। बता दें कि देवी शक्तिपीठों में से रायपुर का महामाया मंदिर एक है। 1300 वर्ष पुराने महामाया मंदिर में नवरात्रि पर भक्तों का तांता लगता है।

8वीं शताब्दी में हैहयवंशी राजाओं ने बनवाया था मंदिर
मंदिर के पुजारी पंडित मनोज शुक्ला ने बताया कि ऐतिहासिक मत के अनुसार इस मंदिर को 1300 वर्ष पहले 8वीं शताब्दी में हैहयवंशी राजाओं ने बनवाया था। ऐसी मान्यता है कि छत्तीसगढ़ में 36 किले बनवाए गए थे। हर किले के शुरुआत में मां महामाया के मंदिर बनवाए गए थे। रायपुर के महामाया मंदिर में माता महालक्ष्मी के रूप में भक्तों को दर्शन देती हैं। यहां पर मां महामाया और मां समलेश्वरी देवी विराजमान हैं। 

10 हजार से अधिक ज्योति कलश प्रज्ज्वलित 
इस बार महामाया मंदिर में 10 हजार से अधिक ज्योति कलश प्रज्ज्वलित किए गए हैं। मंदिर में ज्योत जलाने की परंपरा भी विशेष है। यहां पर पहली ज्योत जलाने के लिए 10 साल से कम उम्र की कुंवारी कन्या को लाल चुनरी के साथ माता के स्वरूप में तैयार किया जाता है। मुख्य पुजारियों की मौजूदगी में मंदिर में मंत्रोच्चार के साथ पहला ज्योति कलश जलाया जाता है। इसके बाद माता स्वरूप कुंवारी कन्या के लोग आशीर्वाद लेते हैं।

10 साल की कुंवारी कन्या ही जलाती है ज्योत
इस मंदिर जुड़ी कई अनोखी परंपराएं और मान्यताए हैं। मंदिर में 10 साल की कुंवारी कन्या ही ज्योति कलश जलाती है। ज्योति कलश जलाने के लिए माचिस की जगह चकमक पत्थर का इस्तेमाल किया जाता है। यहां माचिस का उपयोग नहीं किया जाता है।

बंजारी माता मंदिर दर्शन करने उमड़ी भीड़
वहीं बंजारी माता मंदिर बंजारीधाम में भी दर्शन करने बड़ी संख्या में श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ी। यहां भी सप्तमी के दिन माता रानी का विशेष श्रृंगार किया गया। मंदिर परिसर को आकर्षक ढंग से सजाया गया। दूर-दूर से लोग बंजारी देवी मैया का दर्शन करने पहुंचे।