छत्तीसगढ़

लॉरेंस गैंग पर शिकंजा, सलमान के घर पर फायरिंग के आरोपियों पर लगा मकोका

मुंबई : मुंबई में सलमान खान के घर पर फायरिंग मामले में महाराष्ट्र पुलिस ने बड़ी कार्रवाई करते हुए आरोपियों के खिलाफ मकोका के तहत मामला दर्ज किया है. पुलिस ने फायरिंग करने वाले आरोपियों समेत हथियार सप्लाई करने वाले आरोपियों पर भी मकोका लगाया है. मकोका यानी महाराष्ट्र कंट्रोल ऑफ ऑर्गनाइज्ड क्राइम एक्ट है, यह उन मुजरिमों के खिलाफ लगाया जाता है जो कि संगठित अपराध में शामिल पाए जाते हैं.

जानकारी के मुताबिक सलमान खान के मुंबई स्थित घर पर फायरिंग करने के मामले में पुलिस ने विक्की गुप्ता और सागर पाल को अरेस्ट किया था. सागर और विक्की को कोर्ट में पेश किया गया था जिसके बाद उनकी रिमांड बढ़ा दी गई. वहीं पुलिस ने एक दिन पहले पंजाब से सुभाष चंदर और अनुज थापन को हथियार सप्लाई करने के आरोप में गिरफ्तार किया है. इन चारों आरोपियों के खिलाफ राज्य सरकार के कड़े कानून मकोका के तहत कार्रवाई की जा रही है.

महाराष्ट्र पुलिस ने फायरिंग करने वाले और हथियार सप्लाई करने वाले चारों आरोपियों के अलावा मोस्ट वांटेड अनमोल बिश्नोई और जेल में बंद गैंगस्टर लॉरेंस बिश्नोई के खिलाफ भी मकोका एक्ट लगाया है. इन दोनों को मिलाकर सलमान के घर पर फायरिंग केस में अब तक 6 लोगों पर मकोका लगाया जा चुका है.

क्या है मकोका एक्ट

बता दें कि यह राज्य सरकार का एक सख्त कानून है जो कि संगठित अपराध में शामिल मुजरिमों के खिलाफ लगाया जाता है. इस कानून के तहत उन बदमाशों पर कार्रवाई की जाती है जो कि अंडरवर्ल्ड से जुड़े अपराधी होते हैं, जबरन वसूली करते हैं, फिरौती के लिए किडनैपिंग करते हैं, हत्या या हत्या की कोशिश में संलिप्त होते हैं, जबरन उगाही जैसे संगीन अपराधों में संलिप्त रहते हैं. मकोका लगाए जाने के बाद आरोपियों को आसानी से जमानत नहीं मिलती है.

कैसे लगता है मकोका

मकोका के तहत तभी मुकदमा दर्ज किया जा सकता है जब कोई अपराधी 10 साल के दौरान कम से कम दो संगठित अपराधों में शामिल रहा हो. संगठित अपराध में कम से कम दो लोगों का शामिल होना जरूरी है. इसके अलावा आरोपी के खिलाफ चार्जशीट भी दर्ज की गई हो. मकोका के लगने के बाद पुलिस को भी अच्छा समय मिल जाता है जांच के लिए. जिसमें चार्जशीट दायर करने के लिए 180 दिन का समय मिल जाता है, जबकि सामान्य केस मे इसकी अवधि 60 से 90 दिन होती है. वहीं मकोका के बाद रिमांड 30 दिन तक की हो सकती है जबकि सामान्य केस में यह 14 दिन की अधिकतम हो सकती है.