छत्तीसगढ़

ISRO ने अंतरिक्षयान की लैंडिंग की खास तकनीक का किया परीक्षण, अंतरिक्ष में मनुष्यों को भेजने में मिलेगी सहायता

बेंगलुरु : भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) ने अंतरिक्षयान की सुरक्षित लैंडिंग की तकनीक का सफल परीक्षण किया है। इनफ्लेटेबल एयरोडायनामिक डीसेलेरेटर (आइएडी) नाम की इस तकनीक की मदद से भविष्य में मंगल व अन्य ग्रहों पर यान की सुरक्षित लैंडिंग कराना संभव हो सकेगा। तकनीक को विक्रम साराभाई स्पेस सेंटर ने विकसित किया है।

थुंबा इक्वेटोरियल राकेट लांचिंग स्टेशन से रोहिणी साउंडिंग राकेट के जरिये इसका परीक्षण किया गया। अंतरिक्षयान को किसी ग्रह पर लैंड कराना एक जटिल प्रक्रिया है। संबंधित ग्रह के वातावरण से लेकर अन्य सभी परिस्थितियों के अनुरूप यान को अपनी गति एवं ऊंचाई को नियंत्रित करते हुए लैंड करना होता है। चंद्रयान-2 का लैंडर आखिरी क्षणों में क्रैश हो गया था। अब इसरो ने इस दिशा में उन्नत तकनीक का परीक्षण किया है।

आइएडी में लैंडिंग के लिए भेजे गए पेलोड की गति को आवश्यकता के अनुसार कम करने की क्षमता है। इस तकनीक में पहले से तय रास्ते पर चलते हुए ही यान वहां की परिस्थिति एवं घर्षण के अनुरूप अपनी गति को कम करता है। इसरो ने कहा कि पहली बार ऐसी तकनीक विकसित की गई है, जिसमें स्पेंट स्टेज रिकवरी को ध्यान में रखा जाता है। इससे भविष्य में मंगल व अन्य ग्रहों पर लैंडर भेजने का रास्ता खुलेगा। इतना ही नहीं, भविष्य में अंतरिक्ष में मनुष्य को भेजने के अभियान में भी इस तकनीक से सहायता मिलेगी। रोहिणी साउंडिंग राकेट का प्रयोग आमतौर पर नई तकनीकों के परीक्षण के लिए किया जाता है।