छत्तीसगढ़

आप भी तो कोर्ट में यूनिफॉर्म में हैं…जानें हिजाब विवाद पर SC ने बहस के दौरान क्या-क्या कहा

नईदिल्ली I सुप्रीम कोर्ट ने हिजाब मामले की सुनवाई गुरुवार 11.30 तक के लिए टाल दी है. सुप्रीम कोर्ट बेंच के जस्टिस गुप्ता ने वकील देवदत्त कामत की दलील पर कहा कि “आप अभी कोर्ट में हैं, आपने भी यूनिफॉर्म पहना हुआ है.” सुप्रीम कोर्ट में हाई कोर्ट के फैसले के ख़िलाफ़ दायर अपील पर सुनवाई चल रही है.

  1. वकील कामत कर्नाटक हाई कोर्ट की उस टिप्पणी का ज़िक्र कर रहे थे, जिसमें कोर्ट ने कहा था सभी क्वालिफाइड पब्लिक प्लेस के अपने यूनिफॉर्म होते हैं और यह कहा था कि जेल, डिटेंशन कैंप और अन्य स्थानों पर एक खास यूनिफॉर्म होते हैं.
  2. वकील कामत ने साथ ही कहा कि स्कूल, कोर्ट, जेल, वॉर रूम सभी को एक ही जगह रखकर नहीं देखा जा सकता, फिर स्कूल में यूनिफॉर्म पहनकर जाने पर जेल जैसे महसूस होगा. हालांकि जस्टिस गुप्ता ने कहा कि यह सामान्य बात है, हम इस तरह बोलते हैं.
  3. सुप्रीम कोर्ट में कर्नाटक हाई कोर्ट के हिजाब बैन मामले पर सुनवाई चल रही है. मुस्लिम स्टूडेंट्स के वकील देवदत्त कामत ने दुनिया के अन्य देशों में नियमों का ज़िक्र किया तो एससी की बेंच ने कहा कि किसी भी देश में हमारे जैसी विविधता नहीं है. सभी देशों में एक जैसा कानून है.
  4. मामले पर सुनवाई कर रहे जस्टिस गुप्ता ने कहा “दुनिया भर में महिलाएं ईयर रिंग पहनती हैं और वे नोज पिन भी पहन सकती हैं, लेकिन क्या यह धार्मिक है?”
  5. वकील देवदत्त कामत अमेरिका ,कनाडा जैसे देशों के उदहारण दे रहे थे, जिसपर जस्टिस गुप्ता ने कहा, “हम अमेरिका, कनाडा की तुलना अपने देश से कैसे करते हैं। हम बहुत रूढ़िवादी हैं.” कामत ने कहा, लेकिन अच्छी चीजों का हमेशा स्वागत होना चाहिए.
  6. जस्टिस गुप्ता ने कहा कि जब हमारी अदालतें फैसला सुनाती हैं तो यह उनके सामाजिक और सांस्कृतिक संदर्भ पर निर्भर करता है. कामत ने कहा कि धर्मनिरपेक्षता का मतलब यह नहीं है कि एक समुदाय के छात्र अपने धार्मिक चिन्ह का उपयोग नहीं करेंगे.
  7. जस्टिस गुप्ता ने कहा कि हमारे मूल संविधान में धर्मनिरपेक्षता शब्द नहीं था ये बाद में जोड़ा गया. इसपर वकील कामत ने दलील दी कि- संविधान की आत्मा में यह था. जस्टिस गुप्ता ने भी माना और कहा, “मुझे नहीं पता कि इसे एक राजनीतिक बयान के रूप में जोड़ा गया था, हालांकि यह हमेशा था.”
  8. वकील देवदत्त कामत ने कहा कि अनुच्छेद 19 में यह माना गया है कि अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के अधिकार में पोशाक भी शामिल है. ट्रांसजेंडर मामले का हवाला देते हुए उन्होंने कहा कि यह कहा गया है कि पोशाक अनुच्छेद 19 (1) (ए) का एक हिस्सा है.
  9. वकील कामत ने स्टूडेंट्स की तरफ से कहा, “मैं यह नहीं कह रहा हूं कि मैं ड्रेस नहीं पहनूंगा, लेकिन अगर ड्रेस के साथ मैं इसके साथ एक हेडस्कार्फ़ पहनता हूं, तो क्या यह ड्रेस कोड का उल्लंघन करेगा?”
  10. इसपर जस्टिस गुप्ता ने कहा कि हमें बताएं कि अनुच्छेद 19 (1) (ए) के दायरे में ड्रेस कहां तक आता है. सभी देशों में एक जैसा कानून- सूप्रीम कोर्ट ने पूछा क्या ये धार्मिक है?