छत्तीसगढ़

सुप्रीम कोर्ट ने उम्रकैद की सजा काट रहे कैदियों को दी राहत, 10 साल पूरे करने वाले कैदियों को मिलेगी जमानत

नई दिल्ली : सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि जिन दोषियों ने अपनी उम्रकैद की सजा के 10 साल पूरे कर लिए हैं और जिनकी अपील पर निकट भविष्य में हाई कोर्ट द्वारा सुनवाई नहीं की जाएगी, उन्हें जमानत दी जानी चाहिए, बशर्ते कि उन्हें राहत से इन्कार करने की कोई ठोस वजह न हो। शीर्ष अदालत ने कहा कि उन दोषियों के मामले में जेलों में भीड़भाड़ कम करने के उद्देश्य को ध्यान में रखने की जरूरत है, जिनकी दोषसिद्धि के खिलाफ अपील वर्षों से लंबित है और हाई कोर्ट में लंबित मामलों के चलते उस पर निकट भविष्य में सुनवाई की संभावना नहीं है।

न्यायमूर्ति संजय किशन कौल और न्यायमूर्ति अभय एस ओका की पीठ ने उम्रकैद की सजा पाए दोषियों की याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए यह टिप्पणी की। इन कैदियों ने इस आधार पर जमानत देने की अपील की है, क्योंकि विभिन्न हाई कोर्ट में उनकी अपील वर्षों से लंबित हैं और निकट भविष्य में उस पर सुनवाई की भी कोई संभावना नहीं है। पीठ ने कहा कि उसका प्रयास दो तरह का है। पहला यह कि जिन कैदियों ने 10 साल की सजा पूरी कर ली हो और उन्हें जमानत देने से इन्कार करने का कोई ठोस कारण नहीं हो तो उन्हें जमानत पर रिहा किया जाना चाहिए।

दूसरा जिन कैदियों ने 14 साल की सजा पूरी कर ली हो तो इस पर ध्यान दिए बिना की उनकी अपील कितने समय से लंबित है, उनकी समय से पहले रिहाई के लिए उनके मामले को संबंधित सरकारों के पास भेजा जाना चाहिए।

इस मामले में न्याय मित्र गौरव अग्रवाल ने कहा कि शीर्ष अदालत के पूर्व के आदेश के मुताबिक उन्होंने छह हाई कोर्ट में लंबित मामलों पर हलफनामा दायर किया है। आंकड़ों के अनुसार इन हाई कोर्ट में एकल पीठ या खंडपीठ के सामने 5,740 मामलों में अपील लंबित हैं। इलाहाबाद हाई कोर्ट में सबसे ज्यादा अपील लंबित हैं और 385 दोषियों ने 14 साल से अधिक की सजा पूरी कर ली है। पटना हाई कोर्ट के आंकड़ों के अनुसार 268 दोषियों के समय से पहले रिहाई के मामलों पर विचार किया जा रहा है।