छत्तीसगढ़

पहलवान बजंरग पूनिया ने जीता कांस्य, भारत ने दो पदकों के साथ खत्म किया अभियान

नईदिल्ली I ओलंपिक ब्रॉन्ज मेडलिस्ट और 2022 कॉमनवेल्थ गेम्स गोल्ड मेडलिस्ट बजरंग पूनिया ने वर्ल्ड रेसलिंग चैंपियनशिप में कांस्य पदक अपने नाम किया है। यह विश्व कुश्ति चैंपियनशिप में भारत का दूसरा पदक रहा। इससे पहले महिला पहलवान विनेश फोगाट ने कांस्य पदक जीता था।

बजरंग ने 65 किलोग्राम भार वर्ग में कांस्य पदक के मैच में पुएर्टो रिको के सेबस्टियन रिवेरा को 11-9 से हरा दिया। इससे पहले बजरंग को क्वार्टर फाइनल में यूएसए के जॉन दियाकोमिहालिस ने हराया था। फिर रेपचेज के जरिए बजरंग कांस्य पदक के मैच में पहुंचे और जीत हासिल की।

बजरंग पूनिया ने की जबरदस्त वापसी

रेपचेज के पहले मैच में बजरंग ने आर्मेनिया के वेजगेन तेवान्यान को कड़े टक्कर में हराया। बजरंग ने अपने अभियान की शुरुआत अपने पहले मुकाबले में सिर की चोट के साथ की थी। पूरे टूर्नामेंट में वह कुछ खास नहीं दिखे, लेकिन अपने विरोधियों को मात देने और भारत के लिए पदक जीतने के लिए महत्वपूर्ण क्षणों में अपने अनुभव का इस्तेमाल किया। ओलंपिक ब्रॉन्ज मेडलिस्ट ने वर्ल्ड रेसलिंग चैंपियनशिप के कांस्य पदक के प्लेऑफ मैच में 6-0 से पीछे चल रहे थे। इसके बाद बजरंग ने वापसी की और 11-9 से जीत हासिल की।

बजंरग का वर्ल्ड रेसलिंग चैंपियनशिप में रिकॉर्ड

विश्व कुश्ती चैंपियनशिप में बजरंग पुनिया का यह चौथा पदक है। बजरंग ने 2013 में कांस्य, 2018 में रजत और 2019 में फिर से कांस्य जीता। बजरंग पुनिया इस वैश्विक आयोजन में चार पदक जीतने वाले एकमात्र भारतीय पहलवान हैं। भारत ने विश्व कुश्ती अभियान को दो कांस्य पदक के साथ समाप्त किया। बजरंग से पहले विनेश फोगट ने महिलाओं के 53 किलोग्राम वर्ग में कांस्य पदक जीता था।

टूर्नामेंट में बाकी भारतीय पहलवानों का हाल

इससे पहले निशा दहिया (68 किग्रा), सागर जगलान (74 किग्रा) और नवीन मलिक (70 किग्रा) कांस्य पदक के करीब आए, लेकिन वे अपने-अपने पदक मुकाबले हार गए। वहीं, ओलंपिक सिल्वर मेडलिस्ट और कॉमनवेल्थ गेम्स गोल्ड मेडलिस्ट रवि दहिया को टूर्नामेंट की शुरुआत में झटका लगा था। वह प्री-क्वार्टर फाइनल राउंड में हार गए थे। उन्हें विनेश और बजरंग के जैसे रेपेचेज खेलने का मौका भी नहीं मिला। भारत ने चैंपियनशिप के लिए गेको-रोमन, फ्रीस्टाइल और महिला कुश्ती की तीस श्रेणियों में कुल तीस पहलवान भेजे थे और सिर्फ दो पदक जीते।