छत्तीसगढ़

पटाखों पर लगे बैन पर सुप्रीम कोर्ट की दो टूक- दिल्ली-एनसीआर में नहीं हटाने वाले प्रतिबंध

नईदिल्ली I दिल्ली-एनसीआर में पटाखों पर लगा बैन इस साल भी नहीं हटेगा. सुप्रीम कोर्ट ने पटाखों पर बैन हटाने को लेकर दाखिल याचिका पर फैसला सुनाते हुए साफ कहा है कि दिवाली के दौरान भी पटाखों पर लगा बैन नहीं हटने वाला. शीर्ष अदालत ने कहा है कि हमारा आदेश बहुत स्पष्ट है. हालांकि कोर्ट ने याचिका को अन्य याचिकाओं के साथ संबद्ध कर दिया है. दरअसल इस मामले में बीजेपी नेता मनोज तिवारी ने सु्प्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल की थी और पटाखों पर लगे बैन को संस्कृति के खिलाफ बताया था. हालांकि एम आर शाह की बेंच ने साफ कर दिया है कि वे पटाखों पर लगा प्रतिबंध नहीं हटाएंगे.

कोर्ट ने कहा, दिल्ली एनसीआर को लेकर हमारा फैसला एकदम साफ है. पराली के चलते प्रदूषण पहले से ही बढ़ने लगा है. आप भी एनसीआर में रहते हैं फिर पहले से बढ़ रहे प्रदूषण को और क्यों बढ़ाना चाहते हैं. हम इस बैन को नहीं हटा सकते.

पिछले कई सालों से लगा पटाखों पर बैन

बता दें, दिल्ली में प्रदूषण की समस्या को देखते हुए पिछले कई सालों दिवाली के दौरान पटाखों पर बैन लगा हुआ है. हर साल दिवाली के दौरान पटाखों पर लगे बैन को लेकर चर्चा तेज हो जाती है और लोग दो हिस्सों बट जाते हैं. पहले वो जो बैन का विरोध करते हैं और दूसरे वो जो प्रदूषण की समस्या को देखते हुए इसे सही ठहराते हैं. हालांकि कोर्ट अभी भी अपने फैसले पर कायम है. वहीं दूसरी ओर दिल्ली में बढ़ते प्रदूषण से निपटने के लिए दिल्ली सरकार ने भी एक्शन प्लान तैयार किया है.

दिल्ली में प्रदूषण की समस्या से निपटने के लिए कई एजेंसियां काम कर रही हैं. उनके समन्वय के लिए ग्रीन वार रूम स्थापित किया है. ग्रीन वार रूम में पड़ोसी राज्यों में पराली जलाने और खुले में कचरा चलाने से संबंधित सेटलाइट डेटा का भी विश्लेषण किया जाएगा. इस वार रूम के मेम्बर, ग्रीन दिल्ली ऐप पर जितनी शिकायतें आएंगी,उसे संबंधित 30 विभागों तक पहुंचाने तथा उसे मॉनिटर करने का काम करेंगे.

वहीं गोपाल राय ने बताया कि दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने 30 सितंबर को विंटर एक्शन प्लान की घोषणा की थी. उस एक्शन प्लान के तहत ग्रेप सिस्टम 1 अक्टूबर से दिल्ली के अंदर लागू हो चुका है. विंटर एक्शन प्लान के तहत विभागों ने अपना काम शुरू कर दिया है. दिल्ली सरकार द्वारा उठाए गए कदम के कारण प्रदूषण में भारी कमी दर्ज की गई है. 2012 से 2021 तक पीएम-10 में 40 प्रतिशत और पीएम-2.5 में 31 प्रतिशत की कमी आई है.