
दुर्ग । दुर्ग जिले में सिविल डिफेंस वॉर मॉक ड्रिल होगी। केंद्र सरकार की ओर से जारी लिस्ट में दुर्ग शहर का भी नाम है, जहां यह प्रैक्टिस की जानी है। दुर्ग जिला प्रशासन प्रेक्टिस को लेकर जल्द जानकारी साझा करेगा।
पाकिस्तान से तनाव के बीच केंद्र सरकार ने देश के 244 जिलों में 7 मई को मॉक ड्रिल करने के लिए कहा है। इसमें नागरिकों को हमले के दौरान खुद को बचाने की ट्रेनिंग दी जाएगी। यह इसलिए किया जा रहा है, जिससे युद्ध की स्थिति में लोगों की सुरक्षा सुनिश्चित की जा सके।
सिविल डिफेंस डिस्ट्रिक्ट्स को उनकी संवेदनशीलता के आधार पर 3 कैटेगरी में बांटा गया है। कैटगरी-1 सबसे संवेदनशील और कैटेगरी-3 कम सेंसेटिव है। इसमें दुर्ग कैटेगरी-2 में शामिल है।

लखनऊ और जम्मू में मंगलवार को युद्ध के दौरान बचने की ट्रेनिंग दी गई
पिछली बार 1971 में हुई थी मॉक ड्रिल
देश में पिछली बार ऐसी मॉक ड्रिल 1971 में हुई थी। तब भारत और पाकिस्तान के बीच युद्ध हुआ था। यह मॉक ड्रिल युद्ध के दौरान हुई थी। दरअसल, 22 अप्रैल को जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में बड़ा आतंकी हमला हुआ, जिसमें 26 लोगों की मौत हुई। इसके बाद भारत और पाकिस्तान के बीच तनाव बढ़ गया है। सरकार किसी भी संभावित खतरे से पहले तैयारी करना चाहती है।
डिफेंस मॉकड्रिल का मकसद
1. एयररेड वॉर्निंग सिस्टम के दौरान अलर्टनेस चेक की जाएगी। 2. इंडियन एयरफोर्स के साथ हॉटलाइन और रेडियो कम्युनिकेशन जोड़ना। 3. कंट्रोल रूम और असिस्टेंट कंट्रोल रूम की वर्किंग सही हो, यह तय करना। 4. हमले की स्थिति में आम लोग, छात्र अपनी रक्षा कैसे करें? 5. ब्लैकआउट की स्थिति में क्या करना है? 6. महत्वपूर्ण संस्थानों, प्लांट्स को कैसे बचाना-छिपाना है? 7. सिविल डिफेंस सिस्टम एक्टिवेट करना, इमरजेंसी में आम नागरिकों की मदद करने वाली टीमों- फायरफाइटर्स, रेस्क्यू ऑपरेशन का मैनेजमेंट देखना। 8. हमले की स्थिति में निकासी का प्लान और उसके एक्जीक्यूशन के लिए कितना तैयार हैं।
ड्रिल के दौरान क्या-क्या होगा?
- सायरन बजाए जाएंगे और चेतावनी दी जाएगी।
- इंडियन एयर फोर्स से रेडियो और हॉटलाइन से संपर्क किया जाएगा।
- कंट्रोल रूम और शैडो कंट्रोल रूम एक्टिव होंगे।
- आम लोगों और छात्रों को सुरक्षा की ट्रेनिंग दी जाएगी।
- फायर ब्रिगेड, वार्डन, रेस्क्यू टीम जैसी सेवाएं सक्रिय होंगी।
- ब्लैकआउट और जरूरी ठिकानों को छिपाने की प्रक्रिया की जांच की जाएगी।
- लोगों को निकालने की योजना पर अभ्यास किया जाएगा।
- बंकरों की सफाई और उपयोग की तैयारी भी की जाएगी।
मॉक ड्रिल और ब्लैकआउट एक्सरसाइज क्या है ?
मॉक ड्रिल यानी एक तरह की “प्रैक्टिस” जिसमें हम यह देखते हैं कि अगर कोई इमरजेंसी (जैसे एयर स्ट्राइक या बम हमला) हो जाए, तो आम लोग और प्रशासन कैसे और कितनी जल्दी रिएक्ट करता है। ब्लैकआउट एक्सरसाइज का मतलब है कि एक तय समय के लिए पूरे इलाके की लाइटें बंद कर देना।
इसका मकसद यह दिखाना होता है कि अगर दुश्मन देश हमला करे, तो इलाके को अंधेरे में कैसे सुरक्षित रखा जा सकता है। इससे दुश्मन को निशाना साधने में मुश्किल होती है।