इस्लामाबाद: पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान की गिरफ्तारी के बाद देश में गृहयुद्ध जैसे हालात हैं। इमरान खान समर्थक पूरे पाकिस्तान में हिंसक प्रदर्शन कर रहे हैं। इमरान खान की पार्टी पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ के निशाने पर देश की सबसे शक्तिशाली सेना है। इमरान समर्थकों ने देश के कई हिस्सों में सेना के ठिकानों को आग के हवाले कर दिया है। यही नहीं पाकिस्तानी सेना के मुख्यालय में भी इमरान खान समर्थक घूस गए और उसमें तोड़फोड़ की है। इस विरोध को कुचलने के लिए पाकिस्तानी सेना ने रातभर जमकर फायरिंग की है जिसमें कई लोग के हताहत होने की खबर है। इस बीच इमरान खान की गिरफ्तारी को कई विश्लेषक चीन के विदेश मंत्री की यात्रा से जोड़कर देख रहे हैं।
दरअसल, चीन के विदेश मंत्री किन गांग अभी दो दिन पहले ही पाकिस्तान की यात्रा पर पहुंचे थे। इससे पहले पाकिस्तान के सेना प्रमुख असीम मुनीर भी चीन के अपने पहले दौरे पर गए थे। चीनी विदेश मंत्री ने इस्लामाबाद में एक बयान दिया जिसे लेकर विवाद हो गया। किन गांग ने कहा, ‘स्थिरता विकास का आधार है, एक पड़ोसी और मित्र के नाते हम पूरी ईमानदारी से आशा करते हैं कि पाकिस्तान में राजनीतिक ताकतें आम राय बनाएंगी और स्थिरता को बरकरार रखेंगी। साथ ही ज्यादा प्रभावी तरीके से घरेलू और विदेशी चुनौतियों का समाधान किया जाएगा।’
चीन ने पाकिस्तान में हस्तक्षेप किया ?
चीन के विदेश मंत्री के इस बयान को पाकिस्तान के आंतरिक मामलों में हस्तक्षेप की तरह से देखा जा रहा है। चीन के विदेश मंत्री के बाद रक्षा मंत्री भी पाकिस्तान पहुंचे थे और उन्होंने सीपीईसी में हो रही देरी पर नाखुशी जताई थी। पाकिस्तानी विश्लेषकों का कहना है कि यह चीन की नीति नहीं रही है कि वह किसी देश के आंतरिक मामलों में हस्तक्षेप करे। उनका कहना है कि चीन अगर ऐसा बयान देता है तो यह दर्शाता है कि हमारा देश किस तरह के तूफान का सामना कर रहा है। चीन के विदेश मंत्री के इस्लामाबाद से स्वदेश जाते ही पाकिस्तान में इमरान खान के खिलाफ ऐक्शन शुरू हो गया।
पाकिस्तान में अभी इमरान खान जहां अमेरिका के साथ रिश्ते मजबूत कर रहे हैं, वहीं शहबाज शरीफ सरकार और असीम मुनीर चीन के साथ दोस्ती मजबूत कर रही है। इमरान के करीबी फवाद चौधरी ने पिछले दिनों अमेरिकी राजदूत से मुलाकात की थी। चीन चाहता है कि सीपीईसी परियोजना को आगे बढ़ाया जाए लेकिन इमरान खान की टकराव की राजनीति उसके लिए रोड़ा बन गई है। सीपीईसी परियोजना को नवाज शरीफ और शहबाज शरीफ ने ही सबसे पहले शुरू कराया था।
अमेरिकी दूत रहे खलीजाद इमरान के साथ
इससे पहले अमेरिकी मीडिया ने खुफिया दस्तावेजों के आधार पर खुलासा किया था कि पाकिस्तान अब चीन की ओर बढ़ेगा। खुद पाकिस्तान की विदेश राज्य मंत्री हिना रब्बानी खर ने शहबाज शरीफ के साथ मुलाकात में अमेरिका की बजाय चीन के साथ बढ़ने पर जोर दिया था। इन्हीं वजहों से कई विश्लेषक इमरान खान की गिरफ्तारी को चीन के साथ जोड़कर देख रहे हैं। इस बीच अफगानिस्तान में अमेरिका के दूत रह चुके जल्मे खलीलजाद ने खुलकर इमरान खान का समर्थन किया है। यही नहीं अमेरिका के विदेश मंत्री ने भी मांग की है कि संविधान के मुताबिक पाकिस्तान में कार्रवाई होनी चाहिए।