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नई दिल्ली। केंद्र सरकार देश में जाति जनगणना का एलान पहले ही कर चुकी है। अब सरकार ने तारीखों का भी एलान कर दिया है। सूत्रों को मुताबिक, भारत में 1 मार्च 2027 से जातीय जनगणना शुरू होगी। यह जनगणना देशभर में दो चरणों में कराई जाएगी। बता दें कि, जनगणना 1951 से प्रत्येक 10 साल के अंतराल पर की जाती थी (2021 में कोरोना महामारी के कारण टली)। जनगणना के आंकड़े सरकार के लिए नीति बनाने और उन पर अमल करने के साथ-साथ देश के संसाधनों का समान वितरण सुनिश्चित करने के लिए बेहद अहम होते हैं। वहीं राष्ट्रीय जनसंख्या रजिस्टर (एनपीआर) को भी अपडेट करने का काम बाकी है।
पहाड़ी राज्यों में एक अक्तूबर से जनगणना
सूत्रों के मुताबिक पहाड़ी राज्यों जैसे लद्दाख, जम्मू कश्मीर, उत्तराखंड और हिमाचल प्रदेश में 1 अक्तूबर 2026 से जनगणना शुरू होगी। वहीं मैदानी इलाकों में जातीय जनगणना की शुरुआत 2027 में होगी। 2027 में जनगणना के बाद से भविष्य में जनगणना का चक्र बदल जाएगा। जो पहले 1951 से शुरू हुआ था वो 2027-2037 और फिर 2037 से 2047।
पहली जनगणना 1872 और आखिरी 2011 में हुई थी
भारत में हर दस साल में जनगणना होती है। पहली जनगणना 1872 में हुई थी। 1947 में आजादी मिलने के बाद पहली जनगणना 1951 में हुई थी और आखिरी जनगणना 2011 में हुई थी। आंकड़ों के मुताबिक, 2011 में भारत की कुल जनसंख्या 121 करोड़ थी, जबकि लिंगानुपात 940 महिलाएं प्रति 1000 पुरुष और साक्षरता दर 74.04 फीसदी था।
देश में आखिरी बार कब हुई थी जातिगत जनगणना?
देश में जनगणना की शुरुआत 1881 में हुई थी। पहली बार हुई जनगणना में जातिगत जनगणना के आंकड़े जारी हुए थे। इसके बाद हर दस साल पर जनगणना होती रही। 1931 तक की जनगणना में हर बार जातिवार आंकड़े भी जारी किए गए। 1941 की जनगणना में जातिवार आंकड़े जुटाए गए थे, लेकिन इन्हें जारी नहीं किया गया। आजादी के बाद से हर बार की जनगणना में सरकार ने सिर्फ अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति के ही जाति आधारित आंकड़े जारी किए। अन्य जातियों के जातिवार आंकड़े 1931 के बाद कभी प्रकाशित नहीं किए गए।