छत्तीसगढ़

छत्तीसगढ़ : लोकेशन पाने हाथियों के गले में कालर आइडी लगाएगा वन विभाग

रायपुर । गरियाबंद जिले के घनघोर उदंती, सीतानदी अभ्यारण वन क्षेत्र में लगातार जंगली हाथियों का दल अपना लोकेशन बदल रहा है। हाथियों का इस झुंड बढ़ती आमद को देखते हुए अब वन विभाग का दल इनका लोकेशन जानने उनके गले में कालर आईडी लगाने की योजना तैयार की है।वन विभाग के अधिकारियों ने बताया कि पहले फेस में सिकासार डेम क्षेत्र के हाथी दल के गले में कालर आइडी लगाने का फैसला लिया गया है।इस दल में करीब 34 हाथी है।सबसे ज्यादा नुकसान और खतरे का डर इसी दल से है।

गरियाबंद जिले में पिछले सात साल में हाथियों की आमद काफी बढ़ गई है।जिले में करीब 58 से अधिक जंगली हाथी जिले के अलग-अलग जंगल क्षेत्र में विचरण कर रहे हैं।इसमें पांच दंतेल हाथी भी शामिल है।वन विभाग के अधिकारियों के मुताबिक इसे रोहासी, चंदादल और सिकासार दल के नाम से जाना जाता है।वर्तमान में सिकासार दल पड़ोसी जिले धमतरी के नगरी परिक्षेत्र में है।वही दो दंतैल हाथी सिकासार होते हुए एक सप्ताह पहले ही ओडिशा पहुंचे है।इसके अलावा तीन दंतेल हाथी धमतरी के सिंगपुर क्षेत्र में है,जबकि 20 हाथी का दल बालोद जिले में पहुंच गया है।वन विभाग का अमला इन सभी दलों पर लगातार नजर रखा है।

कालर आइडी नहीं लगने के कारण वन अमले को जंगली हाथियो के वास्तविक लोकेशन को लेकर परेशानी होती है।हाथी का दल कभी भी कही भी किसी भी दिशा में पहुंच जाता है।अनुमानित लोकेशन होने के चलते वन विभाग को कई बार ग्रामीणो को सजग करने, संभावित गांव में मुनादी करने के साथ ही सुरक्षा व्यवस्था बनाने को लेकर परेशानी का सामना करना पड़ता है।

इसके कारण जानमाल की हानि हो भी चुकी है।अब विभाग के लिए ही यह चुनौती बन गया है कि कैसे भी हाथियों को जंगल तक रखा जाए और उन पर नजर रखी जाए।इसे ध्यान में रखकर विभाग ने कालर आइडी लगाने की योजना की तैयार की है।

टैकुलाइज कर हाथी को पहनाई जाती है कालर आइडी

हाथियों के विशेषज्ञों के अनुसार हाथियों के नियत लोकेशन जानने के लिए दल के एक या दो हाथियों के गले पर कालर आइडी लगाई जाती है। कालर आईडी लगाने के लिए हाथी के दल पर कई दिनो पहले से नजर रखनी पड़तीं है। यहीं नहीं बड़ी सावधानी से टैकुलाइज कर हाथी को बेहोश कर उसके गले में कालर आइडी लगाया जाता है। इसके लिए उच्च स्तरीय अनुमति प्राप्त करनी पड़तीं है।

मिलते रहेगा हाथियों का लोकेशन

वन विभाग के एसडीओ राजेंद्र सोरी ने कहा कि हाथियों के गले में कालर आइडी लगाने का निर्णय लिया गया है।सबसे पहले ओड़िशा सीमाक्षेत्र से लगे सिकासार डेम के पास विचरण कर रहे हाथियों के दल के एक हाथी के गले में कालर आइडी लगाने की तैयारी की गई है।जिससे उनके लोकेशन का पता विभाग को लगातार मिलता रहेगा। पिछले दिनों कर्नाटक से वाइल्ड लाइफ की टीम के सदस्यो ने क्षेत्र के हाथी प्रभावित जंगलो में पहुंचकर उनके आवागमन के रास्तों का अध्ययन किया था।