छत्तीसगढ़

बचपन में नहीं मिलती थी बैटिंग, सीनियर करते थे परेशान, अब बना टीम इंडिया का फ्यूचर

नईदिल्ली I भारतीय टीम के बल्लेबाज श्रेयस अय्यर ने बुधवार को बांग्लादेश के खिलाफ शानदार पारी खेलते हुए उसे संकट से निकाल लिया. पहले टेस्ट मैच के पहले दिन टीम इंडिया मुसीबत में थी. ऐसे में टीम अय्यर ने चेतेश्वर पुजारा के साथ मिलकर शानदार शतकीय साझेदारी कर टीम को मजबूत स्थिति में ला दिया. अय्यर लगातार अच्छा कर रहे हैं और इसी कारण उन्हें टीम इंडिया का भविष्य कहा जा रहा है. अय्यर ने कई मौकों पर टीम इंडिया के लिए लड़ाई लड़ी है. अय्यर सिर्फ अपनी टीम को जिताने चाहते हैं. और ये आदत उनकी अभी से नहीं बचपन से है.

अय्यर मुंबई में पले-बढ़े हैं और यहीं से उन्होंने क्रिकेट की बारीकियां सीखीं. अय्यर आईपीएल में अपनी कप्तानी का लोह मनावा चुके हैं. उनके कप्तान बनने के बाद ही दिल्ली कैपिटल्स की टीम लंबे समय बाद आईपीएल के प्लेऑफ में पहुंची थी. उन्हीं की कप्तानी में दिल्ली ने 2020 में पहली और इकलौती बार आईपीएल फाइनल खेला था. अय्यर का हाल ही में एक इंटरव्यू आया है जिसमें उन्होंने बताया है कि वह बचपन से चाहते थे कि वह अपनी टीम को मैच जिताएं और इसलिए वह कमजोर टीम के साथ खेलते थे ताकि उसे जिता हीरो बन सकें.

सोसयटी के बच्चे करते थे परेशान

अय्यर ने The Bombay Journey नाम के यूट्यूब चैनल को दिए इंटरव्यू में बताया कि वह जब 10 साल के थे तब सोसयटी के दोस्त उन्हें खिलाते नहीं थे और खिलाते थे तो फील्डिंग पहले करवाते थे. अय्यर ने कहा, “मैं पक्का मुंबइया हूं. मैं आदर्श नगर में ही पला-बढ़ा था. मेरा सफर वहीं से शुरू हुआ था. मैं जिधर रहता था उसके सामने एक ग्राउंड है वार्ली स्पोर्ट्स कॉम्पलेक्स, मैं वहीं क्रिकेट खेलता था.”

उन्होंने कहा, “मैं गली क्रिकेट भी खेलता था. अपने सोसायटी के दोस्तों के साथ. जब मैं 10 साल का था तो टीम में सीनियर थे वो कहते थे कि अगर तुझे खेलना है तो पहले फील्डिंग करना पड़ेगा. मैं उस समय ज्यादा प्रतिभाशाली नहीं था लेकिन मुझे उनके साथ खेलने का मौका चाहिए थे. ताकि मैं साबित कर सकूं कि मैं भी खेल सकता हूं तो उसके लिए थोड़ा फील्डिंग करना पड़ा मुझे.”

टीम को जिताना पसंद

अय्यर ने कहा कि उन्हें शुरुआत में रनों का ज्यादा शौक नहीं था बल्कि वह जिस टीम में खेलते थे उसे जिताने की कोशिश करते थे. उन्होंने कहा, “मुझे रन का शौक नहीं था. मुझे मैच जिताने का शौक था. ऐसा था कि अगले रविवार को जब मैं मैच खेलने आऊंगा तो मुझे पहले पिक करो. मुझे वो वाला फीलिंग चाहिए था. मेरी उम्र वालों का भी एक ग्रुप होता था. तो मैं हमेशा वो टीम चुनता था जहां मुझे बल्लेबाजी का ज्यादा मौका मिले. मैं हमेश कच्चा (कमजोर) टीम लेता था. कच्चा टीम लेने के बाद उसको जीत दिलाने का अलग ही मजा है.”