छत्तीसगढ़

पटना में भीषण आग: 200 झोपड़ियां खाक होने के बाद.. वो राख के ढेर में ढूंढ रहे थे सपने, शायद कुछ बच गया हो

पटना। चंद मिनट में दर्जनों झोपड़ियां राख हो चुकी थीं। दोपहर में आग की भयावहता थी और शाम आंसुओं से भीगी। आंखों के सामने आशियाना जलते देख पीड़ितों के आंसू थम नहीं रहे थे।

भीषण आग में वही बचा जो तन पर था, बाकी सब राख हो गया। सड़क किनारे खुले आसमान तले बहन, बेटियों और बच्चों का रुदन बर्दाश्त से बाहर था।आग तो बुझ गई, लेकिन बर्तन, आलमारी, टीवी, फ्रिज से लेकर सबकुछ जल चुका था। कुछ बचा हुआ पाने की उम्मीद में पीड़ित राख कुरेद रहे थे। अब उनकी आखों में सिर्फ आंसू और मदद की आस का इंतजार है।

शहनाई बजने से पहले राख हुए अरमान

आगजगी के बाद राख से कीमती सामान खोज रही बिरंज देवी की आंखों से आंसू थमने का नाम नहीं ले रहे थे। वह सीआरसी दफ्तर में साफ सफाई का काम करती है। दोपहर में वह वहीं थी।

सूचना मिली कि झोपड़ी में आग लग गई है। भागकर वहां पहुंचने का प्रयास किया, लेकिन पुलिस ने उन्हें रास्ते में ही रोक दिया। सब कुछ राख होने के बाद वह झोपड़ी की राख के पास बैठी थी।

बताया कि बिटिया की शादी के लिए कुछ गहने खरीदकर रखे थे। आग से बिटिया की मुस्कुराहट और मां की गृहस्थी छिन गई। शहनाई बजने से पहले बर्बादी की आग से बिरंज की गृहस्थी राख कर चुकी है।

कर्ज चुकाने के लिए बैंक से निकाले थे 1.20 लाख

बक्से में जला नोट देख मनोज राम दहाड़ मारकर रो रहे थे। कहते हैं, झोपड़ीनुमा घर, पैसा और सब सामान बर्बाद हो गया। पिछले साल ही बेटी की शादी की थी। कर्ज लिया था। कुछ चुका भी चुके है।

बाकी कर्ज की रकम देने के लिए बुधवार को ही बैंक से 1.20 लाख रुपये निकाल लाए थे। आलमारी में रखे थे। अब कहां से चुकाएंगे कर्ज? मनोज पास के ही एक अपार्टमेंट में काम करते हैं।

जल गया खिलौना और किताब-कापी

आग बुझने के बाद पीड़ितों को जले हुए सामान के बीच कुछ मिलने की आस थी। वे राख में सामान तालाश रहे थे। बचा सामान भी बेकार हो चुका था।

इन सब के बीच सात साल का बच्चा, जिसकी हाथ में प्लास्टर लगा था वह जली हुई किताब के पन्ने को पलट रहा था। खिलौने राख हो चुके थे, इसकी फिक्र उसे नहीं थी।

किताब और कापी के लिए रो रहा था। उसे दो दिन पहले ही नई किताब कापी मिली थी। अभी वह उन्हें लेकर स्कूल भी नहीं गया था।

खुद का शुरू किया था डीजे

दीपक का डेढ़ लाख का कैमरा, बाइक और अन्य सामान जल चुके थे। उनके पास ही सिर पर हाथ रख रो रहा युवक भावावेश में कुछ भी बोल नहीं पा रहा था।

बस बार-बार रटे जा रहा था कि काम सीखने के बाद खुद का व्यवसाय शुरू करने के लिए डीजे खरीद शादियों में बुकिंग की। अब कुछ नहीं बचा। अब फिर पहले ही तरह कहीं और काम कर पेट पालना होगा।

पीड़ितों में चूड़ा-बिस्कुट वितिरत, सामुदायिक किचन में मिलेगा भोजन

शास्त्रीनगर थाने के पास झुग्गियों में गुरुवार को हुए भीषण अग्निकांड का जायजा लेने जिलाधिकारी डा. चंद्रशेखर सिंह घटनास्थल पर पहुंचे।

उन्होंने हालत देखने के बाद अग्निपीड़ित परिवारों से बात की। उन्हें सांत्वना दी। कहा कि आप सबके खाने की व्यवस्था पास के स्कूल में की गई है।

तत्काल चूड़ा-गुड़ और बच्चों के लिए बिस्कुट उपलब्ध कराया जा रहा है। तिरपाल भी दिया जाएगा। सर्वे के बाद शुक्रवार तक 98 सौ रुपये की नगद सहायता उपलब्ध करा दी जाएगी।

शार्ट सर्किट से आग लगने की आशंका

डीएम ने कहा कि प्रथम दृष्टया शार्ट सर्किट से आग लगने की बात सामने आ रही है। आग लगने के बाद कई गैस सिलेंडर फटने से स्थिति बिगड़ गई।

हालांकि, फायर ब्रिगेड की तत्परता से तेजी से आग बुझा ली गई है। 80 से 85 परिवार प्रभावित हुए हैं। हालांकि, एक बड़ी घटना टल गई।

यदि आसपास फैल जाती तो फिर काफी ज्यादा परिवार प्रभावित होते। किसी के हताहत होने की सूचना नहीं है।कुछ पशुओं के जख्मी होने की जानकारी मिली है उसके लिए पशु चिकित्सक को बुलाया गया है। सामुदायिक रसोई शुरू की जा रही है। जितना संभव हो लोगों को सहायता दी जा रही है।