छत्तीसगढ़

ICMR को मिली बड़ी कामयाबी, पहली बार रोटा, एडिनो और नोरो वायरस की एक साथ होगी जांच

नईदिल्ली : भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद (ICMR) को एक बड़ी सफलता हाथ लगी है, जो बच्चों में होने वाले डायरिया के इलाज में कारगर साबित हो सकता है. दरअसल आईसीएमआर और राष्ट्रीय हैजा आंत्र रोग संस्थान यानी एनआईसीईडी ने मिलकर एक ऐसी तकनीक इजात की है, जिससे देश में पहली बार रोटा, एडिनो और नोरो वायरस की जांच हो सकेगी. ये तीनों वायरस बच्चों में डायरिया होने के मुख्य कारण होते हैं. मेडिकल हिस्ट्री में इसे एक बड़ी कामयाबी माना जा रहा है. 

कोरोना की तरह रियल टाइम टेस्ट

रिपोर्ट के मुताबिक इस मेडिकल तकनीक का इस्तेमाल अब तक कोरोना वायरस के टेस्ट में हो रहा है. जैसे कोरोना का रियल टाइम टेस्ट होता है, ठीक उसी तरह से रोटा, एडिनो और नोरो वायरस की भी रियल टाइम जांच की जा सकेगी. इसके लिए सिर्फ एक ही सैंपल देने की जरूरत होगी. ये तकनीक आरटीपीसीआर आधारित है.

95 फीसदी तक सटीक नतीजे
एनआईसीईडी की डायरेक्टर के हवाले से रिपोर्ट में बताया गया है कि ये तकनीक वायरस की पहचान करने में 95 फीसदी तक सटीक पाई गई है. उन्होंने बताया कि इन वायरस की जांच के लिए भारत में फिलहाल कोई भी किट मौजूद नहीं थी. उनके मुताबिक आरटीपीसीआर टेस्ट से सिर्फ 4-5 घंटे में ही वायरस का पता लगाया जा सकता है, जिसके बाद वक्त पर इलाज मिलने से हजारों बच्चों की जान बचाई जा सकती है. 

लोगों को जल्द मिलेगी किट
डायरिया की पहचान के लिए बनाई गई ये आरटीपीसीआर किट जल्द मार्केट में उपलब्ध होगी, इसके लिए आईसीएमआर निजी कंपनियों के साथ संपर्क में है. बताया गया है कि उचित दाम में ये किट लोगों को उपलब्ध कराई जाएगी. जिससे कोई भी बच्चों की आंतों में मौजूद वायरस का आसानी से पता लगा सकता है. 

बता दें कि हर साल डायरिया से दुनियाभर में लाखों बच्चों की मौत होती है. भारत में हर साल इस बीमारी से पांच लाख से ज्यादा बच्चों की मौत हो जाती है. ज्यादातर बच्चों की उम्र 5 साल से कम होती है.