छत्तीसगढ़

यासीन मलिक के SC पहुंचने पर सॉलिसिटर जनरल ने गृह सचिव को लिखी चिट्ठी, वो भाग सकता था, हत्या हो सकती थी…

नईदिल्ली : टेरर फंडिंग मामले में दिल्ली की तिहाड़ जेल में आजीवन कारावास की सजा काट रहे जम्मू-कश्मीर लिबरेशन फ्रंट (JKLF) प्रमुख यासीन मलिक की शुक्रवार (21 जुलाई) को बगैर अनुमति हुई सुप्रीम कोर्ट में पेशी पर हड़कंप मच गया.

इसी के साथ सुरक्षा व्यवस्था पर कई सवाल खड़े हुए. मामले पर सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने यहां तक कहा, ”यासीन मलिक भाग सकता था, उसे जबरन अगवा किया जा सकता था या उसकी हत्या हो सकती थी.”

अपेक्षित अनुमति के बगैर जेल में बंद यासिन मलिक के सुप्रीम कोर्ट में पेश होने के बीच सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने ‘सुरक्षा में कमी’ को लेकर केंद्रीय गृह सचिव अजय भल्ला को पत्र लिखा है. 

सॉलिसिटर जनरल ने गृह सचिव को लिखे पत्र में क्या कुछ कहा?

सॉलिसिटर जनरल मेहता ने पत्र में लिखा, ‘‘मेरा स्पष्ट विचार है कि यह सुरक्षा में गंभीर खामी है. आतंकवादी और अलगाववादी पृष्ठभूमि वाला यासीन मलिक जैसा व्यक्ति जो कि ना सिर्फ आतंकवादी गतिविधियों के लिए धन उनलब्ध कराने के मामले का दोषी है, बल्कि जिसके पाकिस्तानी आतंकवादी संगठनों के साथ संबंध हैं, भाग सकता था या उसे जबरन अगवा किया जा सकता है या फिर उसकी हत्या की जा सकती थी.’’

उन्होंने इसमें आगे कहा कि अगर कोई अप्रिय घटना हो जाती तो सुप्रीम कोर्ट की सुरक्षा भी खतरे में पड़ जाती. मेहता ने यह रेखांकित किया कि केंद्रीय गृह मंत्रालय ने अपराध प्रक्रिया संहिता (सीआरपीसी) के प्रावधान 268 के तहत मलिक के संबंध में आदेश पारित किया है जो जेल प्रशासन को सुरक्षा कारणों से दोषी को जेल परिसर से बाहर लाना निषिद्ध करता है.

उन्होंने लिखा है, ‘‘यह ध्यान में रखते हुए कि जब तक सीआरपीसी की धारा 268 के तहत जारी आदेश प्रभावी है, जेल अधिकारियों के पास उसे जेल परिसर से बाहर लाने का अधिकार नहीं है और न ही उनके पास ऐसा करने की कोई वजह थी.’’

मेहता ने लिखा, ‘‘मैं समझता हूं कि यह मुद्दा इतना गंभीर है कि इसे व्यक्तिगत रूप से फिर से आपके संज्ञान में लाया जाना चाहिए ताकि आपकी ओर से इस संबंध में समुचित कार्रवाई की जा सके.’’

जब अदालत के कक्ष में पेश हुआ यासीन मलिक, चल रही थी ये सुनवाई

न्यायमूर्ति सूर्यकांत तत्कालीन केंद्रीय गृह मंत्री मुफ्ती मोहम्मद सईद की बेटी रुबैया सईद की 1989 में हुई अपहरण की घटना पर जम्मू की निचली अदालत की ओर से 20 सितंबर, 2022 को पारित आदेश के खिलाफ सीबीआई की याचिका पर सुनवाई कर रहे थे, उसी दौरान यासीन मलिक अदालत कक्ष में उपस्थित हुआ.

सीबीआई ने जम्मू की अदालत के फैसले के खिलाफ अपील की है. निचली अदालत ने निर्देश दिया है कि यासीन मलिक को सुनवाई की अगली तारीख पर उसके समक्ष सशरीर पेश किया जाए और रुबैया सईद अपहरण मामले में उसे अभियोजन पक्ष के गवाहों से जिरह का अवसर भी दिया जा सकता है.

यासीन मलिक को देख हैरान रह गए लोग

बता दें कि यासीन मलिक को अदालत की अनुमति के बिना सशस्त्र सुरक्षा कर्मियों की सुरक्षा में एक जेल वैन में अदालत परिसर में लाया गया था. वह अदालत कक्ष में चला गया जिससे वहां मौजूद सभी लोग हैरान रह गए.

यासीन मलिक को कोर्ट में लाने का कोई आदेश नहीं दिया गया था- SC

इस पर सुप्रीम कोर्ट ने साफ किया कि उसे (यासीन मलिक) कोर्ट में लाने का कोई आदेश नहीं दिया गया था. कोर्ट ने कहा कि अगर जरूरी हो तो उसे वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिए ही अपनी बात रखने दिया जाए. अब 4 हफ्ते बाद सुनवाई होगी.

जेल अधिकारियों की ओर से हुई चूक

जेल अधिकारियों ने इस मामले बताया कि आज (21 जुलाई) यासीन मलिक को दिल्ली की तिहाड़ सेंट्रल जेल नंबर 7 के अधिकारियों ने सुप्रीम कोर्ट में पेश किया. उन्होंने कहा कि प्रथम दृष्टया यह पाया गया कि यह संबंधित जेल अधिकारियों की ओर से एक चूक थी.

अधिकारियों ने बताया कि डीजी (जेल) ने मामले की विस्तृत जांच कराने का आदेश दिया है. कारागार मुख्यालय के उप महानिरीक्षक राजीव सिंह से अधिकारियों की जिम्मेदारी तय करने और 3 दिनों के भीतर एक रिपोर्ट पेश करने के लिए कहा गया है.