छत्तीसगढ़

संयुक्त राष्ट्र अमेरिका-जर्मनी के बाद अब चौधरी बनने की कोशिश में, केजरीवाल और कांग्रेस पर जारी किया बयान

नईदिल्ली : अमेरिका और जर्मनी के बाद अब संयुक्त राष्ट्र ने भी भारत की आंतरिक मामलों में दखल देने की कोशिश की है और कहा है, कि “दुनिया को उम्मीद है, कि हर कोई देश के संसदीय चुनावों में स्वतंत्र और निष्पक्ष रूप से मतदान करने में सक्षम होगा।”

यूनाइटेड नेशंस, जो पिछले 2 सालों से यूक्रेन युद्ध नहीं रोक पाया है और गाजा पट्टी की लड़ाई का समाधान करने में जिसकी हवा टाइट है, वो भारत के आंतरिक मामलों में दखल दे रहा है। जबकि, अमेरिका की बयानबाजी के बाद भारत पहले ही उसे ‘अनुचित’ और ‘अस्वीकार्य’ ठहरा चुका है।

संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंटोनियो गुटेरेस के प्रवक्ता स्टीफन दुजारिक से जब दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल की गिरफ्तारी और कांग्रेस के ये आरोप, कि उनके बैंक खातों को फ्रीज कर दिया गया है, को लेकर चुनाव से पहले ‘राजनीतिक अशांति’ को लेकर सवाल पूछा गया, तो उन्होंने कहा, कि “हमें बहुत उम्मीद है, कि भारत में, या फिर किसी भी देश में, जहां चुनाव होते हैं, वहां राजनीतिक और नागरिक अधिकारों सहित सभी के अधिकारों की रक्षा की जाएगी, और हर कोई स्वतंत्र और निष्पक्ष माहौल में मतदान करने में सक्षम होगा।”

आपको बता दें, कि इससे पहले अमेरिका ने अरविंद केजरीवाल की गिरफ्तारी और चुनाव से पहले विपक्षी कांग्रेस पार्टी के बैंक खातों को फ्रीज करने के आरोपों पर दो बार टिप्पणी की है।अमेरिकी विदेश विभाग के एक प्रवक्ता ने सोमवार को कहा, कि अमेरिका, अरविंद केजरीवाल की गिरफ्तारी की रिपोर्टों पर बारीकी से नजर रख रहा है और एक निष्पक्ष कानूनी प्रक्रिया को प्रोत्साहित करता है, जिस पर भारत ने कड़ी आपत्ति जताई है और भारतीय विदेश मंत्रालय ने नई दिल्ली में कार्यवाहक अमेरिकी मिशन उप प्रमुख को तलब भी किया था।

भारतीय विदेश मंत्रालय ने एक बयान में कहा है, कि “भारत की कानूनी प्रक्रियाएं स्वतंत्र न्यायपालिका पर आधारित हैं, जो उद्देश्यपूर्ण और समय पर परिणाम के लिए प्रतिबद्ध है। उस पर आरोप लगाना अनुचित है।”लेकिन वाशिंगटन ने भारत से “इनमें से प्रत्येक मुद्दे के लिए निष्पक्ष, पारदर्शी और समय पर कानूनी प्रक्रियाएं” अपनाने का फिर से आह्वान कर दिया। जाहिर है, अमेरिका की कोशिश भारत की आंतरिक मुद्दों में हस्तक्षेप करने की है, जैसा की वो बार बार दूसरे देशों में करता आया है।

अमेरिकी विदेश विभाग के प्रवक्ता मैथ्यू मिलर ने वाशिंगटन में संवाददाताओं से कहा, कि “हमें नहीं लगता, कि किसी को इस पर आपत्ति होनी चाहिए और हम निजी तौर पर भी यही बात स्पष्ट करेंगे।”हालांकि, मिलर ने भारत में शीर्ष अमेरिकी राजनयिक ग्लोरिया बरबेना को तलब करने पर टिप्पणी करने से इनकार किया और कहा कि वह किसी निजी राजनयिक बातचीत के बारे में बात नहीं करने जा रहे हैं।

जबकि, केजरीवाल की गिरफ्तारी और कांग्रेस पार्टी के आरोपों पर अमेरिकी विदेश विभाग की ताजा टिप्पणियों के बारे में पूछे जाने पर भारतीय विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जयसवाल ने नियमित मीडिया ब्रीफिंग में कहा, कि ये टिप्पणियां अनुचित हैं। उन्होंने कहा, कि “हमारी चुनावी और कानूनी प्रक्रियाओं पर ऐसा कोई भी बाहरी आरोप पूरी तरह से अस्वीकार्य है।”आपको बता दें, कि अमेरिका ने बांग्लादेश समेत कई देशों के आंतरिक मामलों में हस्तक्षेप करने की कोशिश की है और अब वो ये तरीका भारत में आजमाना चाहता है। जबकि, डोनाल्ड ट्रंप खुद ही बाइडेन प्रशासन पर बदले की राजनीति के कई बार आरोप लगा चुके हैं। बाइडेन की पार्टी के शासन वाले कई अमेरिकी राज्यों ने ट्रंप के चुनाव लड़ने पर ही प्रतिबंध लगा दिया था, जिसे अमेरिकी सुप्रीम कोर्ट ने हटाया है। लेकिन, अमेरिका दूसरों के मामले में चौधरी बनने की कोशिश कर रहा है।