छत्तीसगढ़

बॉम्बे हाईकोर्ट ने कहा- तलाक से पहले घर छोड़ चुकी महिला नहीं कर सकती घर पर दावा

मुंबई I बॉम्बे हाई कोर्ट ने अपने फैसले में कहा है कि तलाक लेने से पहले अपना वैवाहिक घर छोड़ चुकी महिला उस घर पर अधिकार की मांग नहीं कर सकती. फिर भले ही तलाक को लेकर उनकी अपील लंबित हो. हाईकोर्ट की औरंगाबाद पीठ ने यह फैसला तलाकशुदा दंपति के मामले में दिया है. दरअसल इस दंपति की शादी 10 जून 2015 को हुई थी. लेकिन पति का आरोप है कि उसकी पत्नी का रवैया बहुत खराब था और शादी के कुछ महीनों के बाद ही महिला ने घर छोड़ दिया था.

इसके बाद महिला ने घरेलू हिंसा एक्ट के तहत मजिस्ट्रेट कोर्ट का रुख किया, जिस पर अदालत ने पति को उन्हें हर महीने 2,000 रुपये गुजारा भत्ता और मकान के किराए के लिए प्रति माह 1500 रुपये देने का निर्देश दिया था. 

लेकिन महिला ने इस आदेश को उडगिर सत्र अदालत में चुनौती दी और आदेश में संशोधन की मांग की. इसके बाद अदालत ने आदेश में संशोधन कर पति और उसके परिजनों को निर्देश दिया कि वह महिला को घर में रहने की जगह दी जाए. यह घर महिला के ससुर के नाम पर है, जिन्होंने अपनी सेविंग्स से यह घर खरीदा था.

इस फैसले के बाद महिला के पति के परिजनों ने हाईकोर्ट का रुख किया. जस्टिस संदीप कुमार मोरे ने कहा कि यह अब तय हो गया है कि बेशक घर महिला के सास-ससुर के नाम हो लेकिन महिला घर पर अपना दावा कर सकती है.

हालांकि, पीठ ने इस मामले को लेकर कहा कि महिला और पुरूष की शादी जुलाई 2018 में ही टूट गई थी. इसलिए महिला के पति के घरवालों ने यह दावा किया कि चूंकि अब महिला तलाकशुदा है तो इसलिए घर में रहने को लेकर दावा नहीं कर सकती. इस पर महिला ने कहा कि उनके पति ने धोखे से तलाक लिया था इसलिए उसने तलाक के खिलाफ अपील दायर की है. 

हाालंकि, जस्टिस मोरे ने कहा कि घरेलू हिंसा एक्ट की धारा 17 आवास का अधिकार देती है लेकिन केवल तभी जब महिला तलाक से पहले उस घर में रह रही हो. तलाक लेने के बाद महिला घर पर किसी तरह का दावा नहीं कर सकती.