छत्तीसगढ़

ऋषि सुनक के पीएम बनते ही आनंद महिंद्रा ने दिलाई ब्रिटिश शासन की याद, कहा- भारतीय कमजोर नहीं होते

नईदिल्ली I ब्रिटेन के पूर्व वित्त मंत्री और रूढ़िवादी नेता ऋषि सुनक को अब वहां नए प्रधानमंत्री के रूप में चुन लिया गया है। ऐसा पहली बार हो रहा है जब भारतीय मूल का कोई व्यक्ति ब्रिटिश प्रधानमंत्री की बागडोर संभालेगा। सुनक की इस कामयाबी पर भारत के कई नेताओं, अभिनेताओं के साथ-साथ उद्योगपति बधाई दे रहे हैं। इसी क्रम में भारत के जाने-माने उद्योगपति आनंद महिंद्रा ने भी ऋषि सुनक को बधाई दी है और एक दिलचस्प ट्वीट भी किया। भारत पर पूर्व ब्रिटिश प्रधान मंत्री विंस्टन चर्चिल की टिप्पणियों का हवाला देते हुए, आनंद महिंद्रा ने अपने ट्वीट में कहा कि भारतीय लोगों का स्तर आज है।

विंस्टन चर्चिल की बात गलत साबित हुई: आनंद महिंद्रा
आनंद महिंद्रा ने कहा कि 1947 में भारत की आजादी के अवसर पर विंस्टन चर्चिल ने मजाक उड़ाते हुए सभी भारतीय नेताओं को निम्न-स्तर और शक्तिहीन बताया था। लेकिन देश की आजादी के 75 साल पूरे होने के मौके पर भारतीय मूल के एक व्यक्ति ने ब्रिटेन की बागडोर संभालकर उन्हें करारा जवाब दिया है। आनंद महिंद्रा ने ट्वीट कर कहा कि जिंदगी बहुत खूबसूरत है।

 

ऋषि सुनक बनेंगे ब्रिटेन के सबसे युवा प्रधानमंत्री
42 वर्षीय ऋषि सुनक ब्रिटेन की राजनीति के 200 से अधिक वर्षों में सबसे कम उम्र के प्रधानमंत्री भी होंगे। उनकी युवा झलक में राजनीतिक विलक्षण, तेज-तर्रार और शांत स्वभाव, आत्मविश्वास से भरा व्यक्तित्व दिखाई देता है। उनकी इसी शैली ने उन्हें ब्रिटिश मीडिया द्वारा ‘डिशी ऋषि’ करार दिया है। सुनक से पहले विलियम पिट ‘द यंगर’ ब्रिटेन के सबसे कम उम्र के प्रधानमंत्री बने थे।

ऋषि सुनक की धमक इतनी कि विपक्षी उम्मीदवार ने नाम ले लिया वापस
ऋषि सुनक की ताकत के सामने विपक्षी उम्मीदवार पेनी मोर्डेंट ने पहले ही हाथ खड़े कर दिए। उन्होंने संख्या बल की कमी के कारण अपना नामांकन वापस ले लिया। 

ब्रिटेन के पहले भारतीय मूल के प्रधानमंत्री
ऋषि सुनक का जन्म 12 मई 1980 को ब्रिटेन के दक्षिण तट पर स्थित साउथेम्पटन में भारतीय मूल के माता-पिता के यहां हुआ था। वह एक मध्यमवर्गीय परिवार में पले-बढ़े। उनके पिता एक पारिवारिक डॉक्टर और उनकी मां एक फार्मासिस्ट थीं। कहते हैं कि उन्हें मेहनती होने का संस्कार विरासत में मिला है। प्रचार अभियान के दौरान उन्होंने कहा था कि मैं दुकान में काम करते हुए, दवाइयां पहुंचाता हुआ बड़ा हुआ हूं। मैंने सड़क के किनारे भारतीय रेस्तरां में वेटर के रूप में काम किया था। उन्होंने बताया कि कैसे उनके माता-पिता ने उन्हें ब्रिटेन के सबसे महंगे और विशिष्ट बोर्डिंग स्कूलों में से एक विनचेस्टर कॉलेज में भेजने के लिए थोड़ा-थोड़ा करके पैसे जमा किए थे।