छत्तीसगढ़

कैंसर पीड़ित आरोपी की जमानत रद्द करने की मांग, SC की ED को फटकार, कहा- समय बर्बाद न करें

नईदिल्ली I सुप्रीम कोर्ट ने कैंसर से पीड़ित एक आरोपी की जमानत रद्द करने की अपील वाली याचिका दायर करने के लिए प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) की खिंचाई करते हुए कहा कि उसे स्टेशनरी, कानूनी शुल्क और अदालत का समय बर्बाद नहीं करना चाहिए. एक प्राइवेट बैंक के कर्मचारी आरोपी को 24 करोड़ रुपये के गबन के मामले के संबंध में गिरफ्तार किया गया था. जस्टिस एम. आर. शाह और जस्टिस एम. एम. सुंदरेश की बेंच ने विशेष अनुमति याचिका (एसएलपी) दायर करने की इजाजत देने वाले संबंधित अधिकारी पर एक लाख रुपये का जुर्माना भी लगाया.

बेंच ने कहा, ‘विभाग को स्टेशनरी, कानूनी शुल्क और अदालत का वक्त बर्बाद करते हुए ऐसी विशेष अनुमति याचिका दायर नहीं करनी चाहिए थी.’ कोर्ट ने कहा, ‘इस याचिका को खारिज किया जाता है और यह याचिका दायर करने की इजाजत देने वाले संबंधित अधिकारी पर 1,00,000 रुपये का जुर्माना लगाया जाता है जो उसके वेतन से वसूला जाएगा.’ अदालत ने कहा, ‘विभाग आज से चार हफ्ते के भीतर इस अदालत की पंजी में जुर्माना जमा कराएगा.

ED ने 2021 में किया था SC का रुख

जुर्माने की 50,000 रुपये की राशि राष्ट्रीय विधिक सेवा प्राधिकरण (नयी दिल्ली) को दी जाएगी तथा 50,000 रुपये मध्यस्थता एवं सुलह परियोजना समिति (उच्चतम न्यायालय) को दिए जाएंगे.’ ईडी ने इलाहाबाद हाईकोर्ट के 12 नंवबर 2021 के आदेश के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट का रुख किया था. हाईकोर्ट ने आरोपी को कैंसर से पीड़ित होने के आधार पर जमानत दी थी. हाईकोर्ट ने प्रयागराज के कमला नेहरू अस्पताल से संबंधित डॉक्टर से याचिकाकर्ता की जांच करने और उसके स्वास्थ्य तथा कैंसर पर एक रिपोर्ट सौंपने के लिए भी कहा था.

विधि आयोग को ‘वैधानिक निकाय’ बनाने की मांग

वहीं एक अन्य मामले में, सुप्रीम कोर्ट 31 अक्टूबर को उस जनहित याचिका पर सुनवाई करने वाला है, जिसमें मांग की गई है कि केंद्र को विधि आयोग को वैधानिक निकाय घोषित करने और पैनल में अध्यक्ष और सदस्यों को नियुक्त करने का निर्देश दिया जाए. अदालत की वेबसाइट पर अपलोडेड 31 अक्टूबर की वाद सूची के मुताबिक, ये याचिका चीफ जस्टिस यूयू ललित और जस्टिस एस. आर. भट और बेला एम. त्रिवेदी की बेंच के सामने सुनवाई के लिए आने वाली है. इससे पहले, विधि और न्याय मंत्रालय ने दिसंबर 2021 में दायर जनहित याचिका के जवाब में कहा था कि विधि आयोग को वैधानिक निकाय बनाने का कोई प्रस्ताव अभी विचाराधीन नहीं है.