छत्तीसगढ़

5 घंटे में हरियाणा में पलट गया सियासी गेम! आखिर बीजेपी से क्यों नाराज हुए अनिल विज? राजभवन में हो रहा था इंतजार, चले गए घर

नईदिल्ली : लोकसभा चुनाव से पहले बीजेपी ने हरियाणा में बड़ा दांव चला है. बीजेपी ने नायब सिंह सैनी को राज्य का नया मुख्यमंत्री बनाया है. हरियाणा में एक ही दिन में इतना बड़ा उलटफेर हुआ, जिसकी शायद ही किसी ने कल्पना की हो. एक ओर बीजेपी-जेजेपी का गठबंधन टूट गया, वहीं दूसरी ओर मनोहर लाल खट्टर ने मुख्यमंत्री के पद से इस्तीफा दे दिया, जबकि गृह मंत्री अनिल विज पर्यवेक्षकों के साथ हुई बैठक के बाद नाराज दिखाई दिए और फिर बीजेपी ने सीएम पद के लिए नया नाम लाकर सबको चौंका दिया.

मनोहर लाल खट्टर ने राज्य के मुख्यमंत्री के पद से अपना इस्तीफा राज्यपाल को सौंप दिया, जिसे स्वीकार भी कर लिया गया. उसके बाद जब नए मुख्यमंत्री के लिए चंडीगढ़ में विधायक दल की बैठक हुई, जिसमें पर्यवेक्षकों के सामने खट्टर सरकार में गृह मंत्री अनिल विज नाराज दिखाई दिए. वो बैठक को बीच में छोड़कर ही निकल आए थे, जब उनसे इस बारे में पूछा गया तो उन्होंने कहा कि मीटिंग में जो भी हुआ है, उसके बारे में सिर्फ ऑब्जर्वर ही बता सकते हैं. उसके बाद वो आगे निकल गए.

खट्टर के करीबी माने जाते हैं नायब सिंह सैनी

हालांकि इसी बैठक में नायब सिंह सैनी को राज्य का नया मुखिया चुना गया. नायब सिंह को मनोहर लाल खट्टर का करीबी माना जाता है और इस समय वह राज्य में बीजेपी के अध्यक्ष थे. साल 2019 में भाजपा ने उन्हें कुरुक्षेत्र लोकसभा सीट से चुनाव मैदान में उतारा और वह संसद पहुंचे. सैनी को 2023 में प्रदेश भाजपा के अध्यक्ष पद की जिम्मेदारी दी गई थी.

बीजेपी-जेजेपी गठबंधन टूटा 

लोकसभा चुनाव में सीटों को लेकर बीजेपी और जेजेपी के बीच गठबंधन टूट गया है. सूत्रों की मानें तो दुष्यंत चौटाला के नेतृत्व वाली जेजेपी हरियाणा की दो सीटें मांग रही थी, जबकि बीजेपी राज्य की सभी 10 सीटों पर अकेले ही चुनाव लड़ना चाहती थी. कहा जा रहा है कि इसी वजह से दोनों दलों के बीच गठबंधन टूटा है.

दुष्यंत चौटाला को बर्खास्त नहीं करना चाहती थी बीजेपी

सूत्रों की मानें तो बीजेपी दुष्यंत चौटाला को बर्खास्त नहीं करना चाहती थी, इससे गलत राजनीतिक संदेश जाता, इसीलिए पूरी कैबिनेट का इस्तीफा हुआ. एक बार फिर से कैबिनेट का गठन होगा. कहा जा रहा है कि नई कैबिनेट से एक-दो पुराने मंत्रियों की छुट्टी हो सकती है. 

तय समय पर ही होंगे विधानसभा चुनाव

नए मुख्यमंत्री के ऐलान से एक और बात स्पष्ट हो गई कि राज्य में विधानसभा चुनाव अपने तय समय पर ही होंगे. लोकसभा चुनाव के साथ चुनाव नहीं कराए जाएंगे. हालांकि इस बार उपमुख्यमंत्री को लेकर तस्वीर साफ नहीं है. ऐसा हो सकता है कि जातीय समीकरणों को साधने के लिए किसी को डिप्टी सीएम का पद दे दिया जाए.

क्यों लिया जेजेपी से अलग होने का फैसला? 

वहीं जेजेपी के विधायकों को लेकर कहा जा रहा था कि उसके कई विधायक लंबे समय से बीजेपी के संपर्क में हैं. इसलिए गठबंधन टूटने के बाद उनका समर्थन लिया जा सकता है. बीजेपी चौटाला से रिश्ता तोड़ कर यह साफ संदेश देना चाहती है कि वह हरियाणा में गैर जाट की राजनीति करेगी. राज्य में गैरजाट 80 और जाट 20 प्रतिशत के अनुपात में हैं. दुष्यंत चौटाला के अलग चुनाव लड़ने से जाट वोटों में सेध पड़ती है और इससे जाट एक तरफा भूपेंद्र हुड्डा की अगुवाई वाली कांग्रेस को नहीं मिलेंगे. इससे बीजेपी को कुछ सीटों पर फायदा हो सकता है. वहीं चौधरी बीरेंद्र सिंह के बेटे और हिसार से बीजेपी सांसद बृजेंद्र चौधरी के कांग्रेस में जाने को भी बीजेपी की गैर जाट राजनीति से जोड़कर देखा जा रहा है.

क्या है हरियाणा विधानसभा का नंबरगेम?

हरियाणा में विधानसभा की कुल 90 सीटें हैं. इन 90 सीटों में से 41 बीजेपी के पास हैं. वहीं 30 सीटें कांग्रेस, 10 सीटें इंडियन नेशनल लोकदल, एक हरियाणा लोकहित पार्टी और छह निर्दलीय हैं. हरियाणा में बहुमत के लिए 46 विधायक चाहिए. हरियाणा में बीते विधानसभा चुनाव में बीजेपी ने जेजेपी के साथ मिलकर गठबंधन सरकार बनाई थी. उस चुनाव में बीजेपी को 41 जबकि जेजेपी को 10 सीटें मिली थी.