छत्तीसगढ़

उद्धव ठाकरे गुट की बड़ी जीत, बॉम्बे HC ने शिवाजी पार्क में दशहरा रैली की इजाजत दी

मुंबई I बॉम्बे हाईकोर्ट के फैसले से शिवसेना के शिंदे गुट को बड़ा झटका लगा है. मुंबई उच्च न्यायालय ने उद्धव ठाकरे गुट के शिवसेना के पक्ष में फैसला सुनाते हुए मुंबई के शिवाजी पार्क में दशहरा रैली की इजाजत दे दी है. लेकिन इसके लिए कुछ समय सीमा की शर्तें होंगीं. साथ ही शिवसेना के उद्धव गुट से यह भी वादा लिया गया है कि कानून व्यवस्था की कोई समस्या नहीं आएगी. शिवेसना ने ठाकरे गुट ने इसकी गारंटी दी. हाईकोर्ट ने यह कहते हुए कि बीएमसी ने उन्हें परमिशन ना देकर अपने अधिकारों का दुरुपयोग किया है.

कोर्ट ने मुंबई महानगरपालिका को अधिकार का दुरुपयोग करने के लिए फटकार लगाई. कोर्ट ने कहा कि कानून-व्यवस्था को आधार बताकर पिछले सात दशकों में कभी अर्जी नहीं ठुकराई गई. कोर्ट ने कहा कि कानून-व्यवस्था को ध्यान में रखते हुए बीएमसी ने जो शिंदे और ठाकरे गुट, इन दोनों को ही मुंबई के शिवाजी पार्क में रैली करने की इजाजत ना देकर अपने अधिकारों का उल्लंघन किया है. बीएमसी के वकील मिलिंद साठ्ये ने यह भी दलील दी थी कि शिवाजी पार्क एक साइलेंट जोन है. वहां होने वाली रैली की वजह से वहां की शांति भंग हो सकती है. लेकिन कोर्ट ने उनकी दलील स्वीकार नहीं की.

बॉम्बे हाईकोर्ट ने लगाई फटकरा, BMC अधिकारों के दुरुपयोग की जिम्मेदार

बीएमसी के वकील ने कहा था कि शिवाजी पार्क पर मुंबई की आम जनता का पूरा हक है. शिवाजी पार्क में सभा के लिए कोई भी परमिशन मांग सकता है. लेकिन जब दो ग्रुप एक वक्त में यहां परमिशन की मांग करता है तो बीएमसी का हक है कि वो यह देखे कि कानून-व्यवस्था भंग ना हो. इस बात का ध्यान रखते हुए दोनों को ही इजाजत ना देने का बीएमसी को अधिकार है.

बीएमसी ने यह भी कहा कि यह जगह मुंबई महानगरपालिका के अधिकार क्षेत्र में आती है, इसलिए पालिका के पास यह अधिकार है कि वो किस गुट को इजाजत दे और किसे ना दे. कोर्ट ने बीएमसी के इस फैसले को गलत नहीं ठहराया. लेकिन कोर्ट ने यह भी कहा कि मुंबई महापालिका का निर्णय अंतिम नहीं है और तथ्यात्मक नहीं है. कोर्ट ने इस बात के लिए पालिका को झिड़का की 22 और 26 तारीख को उनको आवेदन मिला था, लेकिन उन्होंने जल्दी जवाब ना देकर टालमटोल का रवैया अपनाया.

ठाकरे गुट ने प्रथा और परंपरा के नाम पर इजाजत मांगी थी

उद्धव ठाकरे गुट के वकील एस.पी. चिनॉय ने दावा किया था कि सालों से दशहरा में शिवसेना की रैली की प्रथा और परंपरा रही है. बीएमसी रैली की इजाजत नकार कर परंपरा भंग कर रही है. इस पर बीएमसी के वकील का कहना था कि प्रथा और परंपरा को अधिकार नहीं समझा जा सकता. उन्होंने 2012, 2013, 2015 और 2017 का हवाला देकर बताया कि शिवसेना को यहां रैली करने की इजाजत नहीं मिली थी. फिर विशेष परिस्थिति में 2015 में इजाजत दी गई थी. इसलिए परंपरा पहले भी टूटी है.