छत्तीसगढ़

कब मनेगी होलीः 6 और 7 मार्च में कौन सा दिन सही, 300 ज्योतिषियों ने सभा में लिया निर्णय

राष्ट्रीय आयोजन में ज्योतिषियों ने किया विचार मंथन

इंदौर। इंदौर में ग्रहों की चाल सहित प्राच्याविधा के लिए राष्ट्रीय आयोजन रखा गया। इसमें होली का त्योहार (Holi Festival) कब मनेगा यही मुख्य विषय रहा। ग्रहों की चाल के अनुसार सभी ने इस पर मंथन किया और निर्णय पर पहुंचे। सभी ज्योतिषाचार्य इस बात पर एकमत हुए कि देश के पूर्वी भाग को छोडक़र सभी जगह होलिका दहन (Holika Dahan) 6 मार्च को होना चाहिए और 7 को धुलेंडी यानी रंग का पर्व होना चाहिए। लेकिन, देश के पूर्वी भाग में होलिका दहन 7 मार्च को होना चाहिए और 8 मार्च को रंग खेला जाना चाहिए। इसके लिए शास्त्र सम्मत तर्क भी बताए गए। सभी ने इस विषय पर बात की कि Holi कैसे मने, Holika Dahan का Muhurat क्या हो, पंचाग और ज्योतिष के अनुसार Holi Date क्या हो। Right Time Holi 2023 Festival कैसे मनाएं। 

एयरपोर्ट रोड स्थित दि. जैन नवग्रह जिनालय ग्रेटर बाबा परिसर में रविवार को 300 से अधिक ज्योतिषाचार्यों का महाकुंभ का आयोजन किया गया। जिसमें ज्योतिषाचार्यों ने प्राच्याविधा के साथ ही तिथि व ग्रहों की चाल पर विचार मंथन कर अपने विचार व्यक्त किए। ज्योतिषाचार्यों के इस महाकुंभ में इंदौर सहित देश-विदेश के जाने-माने ख्याति प्राप्त विद्वान ने शिरकत कर सभी को ज्योतिषी विद्या पर सभी का ध्यान केंद्रित किया। साथ ही हमारे जीवन में घटने वाली बाधाओं को बताया और इन बाधाओं पर अंकुश लगाने का उपाय भी बताया। श्री जैन प्राच्याविद्या अनुसंधान संगठन की राष्ट्रीय अध्यक्ष आभा जैन एवं अधिवेशन संयोजक राजकुमार अग्रवाल ने बताया कि कार्यक्रम की शुरुआत सभी ज्योतिषाचार्यों ने मंगलाचरण के साथ की। इसके पश्चात मुख्य अतिथियों ने दीप प्रज्जवलित किया। 

होलिका दहन के लिए प्रदोष काल पर सभी हुए एकमत 
पूर्व राज्यमंत्री का दर्जा प्राप्त पं. योगेंद्र महंत ने सभी ज्योतिषाचार्यों को अपने उद्बोधन में एक तिथि-एक त्योहार मनाने पर जोर दिया। साथ ही उन्होंने ज्योतिषियों व पंचांग हवाला देते हुए नगरवासियों से 6 मार्च को होलिका दहन करने की बात कही। वहीं आचार्य रामचंद्र शर्मा वैदिक ने दो तिथियों व होलिका दहन का संशय दूर किया। ग्रेटर बाबा में आयोजित महाकुंभ में ज्योतिषाचार्यों ने 6 या 7 मार्च का संशय दूर करते हुए उन्होंने देशभर से प्रकाशित पंचांग, धर्मसिंधु व निर्णयसिंधु का हवाला देते हुए कहा कि फाल्गुन पूर्णिमा 6 मार्च को प्रदोष काल में दहन शास्त्र सम्मत रहेगा साथ ही उन्होंने देश के पूर्वी क्षेत्रों में 7 मार्च को होलिका दहन करने की बात कही। इस पर सभी एकमत दिखे।  

यहां 7 मार्च को होलिका दहन  
पूर्वी भारत में भारत के पूर्व के क्षेत्र आते हैं। इनमें पश्चिम बंगाल, उड़ीसा, बिहार एवं झारखंड राज्य शामिल हैं। ज्योतिषाचार्यों ने देश के पूर्वी क्षेत्रों में 7 मार्च को होलिका दहन करने की बात कही। 

ग्रहों की चाल बदलने से बहुत प्रभावित होता है जीवन 
ज्योतिषी सम्मेलन में संगीता शर्मा ने सभी ज्योतिषाचार्यों के समक्ष सूर्य, चंद्र, मंगल, बुध, शनि, राहु और केतु ग्रहों की चाल बदलने से हमारे जीवन पर क्या प्रभाव पड़ता है इस पर सार गर्भित अपने विचार रखे साथ ही प्रत्येक ग्रह का हमारे जीवन में क्या प्रभाव पड़ता है इस पर सभी का ध्यान भी केंद्रित किया। वहीं राजकुमार अग्रवाल ने ज्योतिषी विधा के प्रति अलग-अलग भ्रांतियां जो लोगों में व्याप्त हैं इस पर सभी का ध्यान केंद्रित किया। उन्होंने अपने सनातन धर्म एवं प्राच्याविद्या को आगे लाएं ताकि आने वाली पीढ़ी यह विद्या समझ व जाने सके। आज युवा पीढ़ी कलर थैरेपी और फेंगशुई जैसी विद्या पर ज्यादा आकर्षित हो रही है।

देश विदेश के 300 ज्योतिषियों ने रखे अपने विचार 
श्री जैन प्राच्याविद्या अनुसंधान संगठन की राष्ट्रीय अध्यक्ष आभा जैन एवं अधिवेशन संयोजक राजकुमार अग्रवाल ने बताया कि ज्योतिषी महाकुंभ में आए देशभर से 300 से अधिक ज्योतिषाचार्यों ने विभिन्न  प्रकार की शास्त्रोक्त विद्याओं पर अपने-अपने विचार रखे एवं  ज्योतिष, वास्तु, हीलिंग, टेरो, अंकशास्त्र, लाल किताब रमल आदि विद्या का महत्व भी बताया। ज्योतिषी सम्मेलन में मुख्य अतिथि के रूप में पंडि़त डॉ. भूपेंद्र भूवनेश्वर स्वामी (बालाजी धाम), गुरुमा ऊषा देहली, डॉ. शीतल चन्द्र जैन (ग्वालियर), राष्ट्रीय संत आचार्य प्रेमी महाराज, श्रीमती बालिका सेन गुप्ता (लखनऊ), कु. हेमलता शर्मा, अक्षय बम, डॉ. राजेश माहेश्वरी सहित 300 से अधिक ज्योतिषी इस सम्मेलन में शामिल हुए थे। सभी ज्योतिषाचार्यों को शाल-श्रीफल व मेमेटों भेंट कर इस दौरान सम्मानित भी किया गया। कार्यक्रम का संचालन एम.के. जैन ने किया।