छत्तीसगढ़

न्यूक्लियर बैलिस्टिक मिसाइल अग्नि-5 बनाने वाली शीना रानी को आप कितना जानते हैं? अब्दुल कलाम से है अनोखी समानता

नईदिल्ली : अग्नि-5 मिसाइल परियोजना का नेतृत्व DRDO की एक महिला वैज्ञानिक शीना रानी ने किया है, जो 1999 से अग्नि मिसाइल सिस्टम पर काम कर रही हैं। अग्नि-5 मिसाइल के सफलतापूर्वक परीक्षण पर शीना ने खुद को डीआरडीओ बिरादरी की एक गौरवान्वित सदस्य बताया जो भारत की रक्षा में मदद करती है।

शीना खुद मिसाइल वुमन ऑफ इंडिया टेसी थॉमस के नक्शेकदम पर चल रही हैं। पिछले साल तक टेसी थॉमस ही इस प्रोजेक्ट को लीड कर रही थीं। उनकी ही अगुवाई में पहली बार साल 2012 में अग्नि-5 का सफल परीक्षण किया गया था। उसके बाद से कई बार अग्नि 5 का परीक्षण किया गया है।

त्रिवेन्द्रम में पली बढ़ी शीना रानी का घर विक्रम साराभाई अंतरिक्ष केंद्र के नजदीक था और वहां होने वाले प्रक्षेपणों ने ही उनकी रुचि और जिज्ञासा को बढ़ाया। शीना रानी ने तिरुवनंतपुरम में इंजीनियरिंग कॉलेज में इलेक्ट्रॉनिक्स और कम्यूनिकेशन इंजीनियरिंग में ट्रेनिंग लेने के साथ कंप्यूटर साइंस में भी विशेषज्ञा हासिल की है।

उन्होंने भारत की अग्रणी नागरिक रॉकेटरी प्रयोगशाला, विक्रम साराभाई अंतरिक्ष केंद्र (वीएसएससी) में आठ वर्षों तक काम किया है। 1998 के पोखरण परमाणु परीक्षण के बाद, वह लैटरल एंट्री के रूप में डीआरडीओ में चली गईं। शीना भारत के ‘मिसाइल मैन’ भारत के पूर्व राष्ट्रपति और डीआरडीओ के पूर्व प्रमुख डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम से प्रेरणा लेती हैं। दिलचस्प बात ये है कि कलाम ने भी अपना करियर विक्रम साराभाई अंतरिक्ष केंद्र से शुरू किया था। इसके बाद वो मिसाइल प्रोजेक्ट में काम करने के लिए DRDO चले आए।

शीना अपने करियर को बेहतर आकार देने का श्रेय मिसाइल प्रौद्योगिकीविद् डॉ. अविनाश चंदर को देती हैं। चंदर ने ही कुछ कठिन वर्षों में डीआरडीओ का नेतृत्व किया। डॉ चंदर ने शीना रानी को हमेशा मुस्कुराने वाली, कुछ नया करने को तैयार रहने वाली बताया। उन्होंने कहा कि शीना रानी का अग्नि मिसाइल कार्यक्रम के प्रति समर्पण शानदार रहा है और कल का प्रक्षेपण उनके लिए एक गौरवशाली घटना थी।