छत्तीसगढ़

ट्विटर ने हाईकोर्ट को दी सफाई, कहा-हम तय नहीं कर सकते कंटेट सही या गलत

नईदिल्ली I सोशल मीडिया वेबसाइट ट्विटर ने दिल्ली हाईकोर्ट के एक नोटिस के जवाब में कहा कि वह यह तय नहीं कर सकते कि उनकी वेबसाइट पर कंटेट कानूनी तौर पर सही है या नहीं. उन्होंने इस पूरे मामले में ट्विटर को एक मध्यस्थता के रूप में दिखाया. ट्विटर ने कहा कि एक मध्यस्थ माध्यम होने की वजह से वह तय नहीं कर सकता कि यूजर जो कंटेट पोस्ट कर रहा है वह कानूनी तौर पर सही है या नहीं, जब तक कि उसको ‘एक्चुअल नॉलेज’ में नहीं लाया जाता.

चीफ जस्टिस सतीश चंद्रा और जस्टिस सुब्रमण्यम प्रसाद की बेंच के सामने एक एफिडेविट पेश कर ट्विटर ने यह बातें कही है. ट्विटर वेबसाइट के अनुसार प्लेटफॉर्म से अधिकारिक एजेंसी के रिपोर्ट के आधार पर या फिर कोर्ट के आदेश पर कंटेंट को हटाया जा सकता है. ट्विटर के एफिडेविट के अनुसार, ‘एक्शन लेने के लिए जानकारी का होना बहुत जरूरी है जैसे कि अगर किसी सरकारी संस्था या न्यायायिक संस्था अगर किसी कंटेट को गैरकानूनी बताती है और ट्विटर को एक्च्यूअल नॉलेज में लाती है तो उस पर कार्यवाही की जा सकती है. ‘

28 अक्टूूबर को होगी अगली सुनवाई

ट्विटर ने एक हिंदू देवी के बारे में कथित आपत्तिजनक सामग्री पोस्ट करने के खिलाफ दायर एक याचिका का जवाब देते हुए एक हलफनामे में यह दलील दी. याचिकाकर्ता के वकील ने हलफनामे को पढ़ने और जवाब देने के लिए समय मांगा, जिसके बाद बेंच ने मामले की आगे की सुनवाई के लिए 28 अक्टूबर की तारीख तय की. हाईकोर्ट यूजर एथिस्टरिपब्लिक द्वारा मां काली के बारे में कथित रूप से आपत्तिजनक सामग्री पोस्ट करने के खिलाफ दायर याचिका पर सुनवाई कर रहा है.

यह है एक्सपर्ट कमेंट

इस मामले में सीनियर एडवोकेट और साइबर लॉ एक्सपर्ट एनएस नप्पीनई का कहना है, ‘ ट्विटर एक मध्यस्थ माध्यम होने के नाते कहता है कि वह प्रोएक्टिवली कंटेट को मोडरेड नहीं कर सकता, तब यह कंटेट के अपलोड के वक्त पर लागू होता है.’ ट्विटर के इस स्टैंड के साथ किसी शख्स के रिपोर्ट करने के बाद कंटेट को हटाना असंगत है, इतना ही नहीं कंटेट को खुद मोडरेट करना और फिर किसी शिकायत के आधार पर उसे फिर हटाना भी इस स्टैंड के साथ तर्क संगत नहीं है.